यौन उत्पीड़न के केस की सुनवाई के समय बेटी के आरोपों को सही ठहराते हुए, पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने लड़की की माता और मौसा की सजा में कोई परिवर्तन नही किया है. उच्च न्यायलय ने अपनी टिप्पणी में बताया कि ऐसा काफी कम होता है, जब कोई बेटी अपनी ही माता पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाती हो. केस की सुनवाई करते हुए उच्च न्यायलय ने माना कि पीड़ित लड़की की तरफ से लगाए गए सभी आरोप बिल्कुल सत्य हैं. ऐसे में आरोपियों को सजा में किसी प्रकार की कटौती नहीं की है.
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मीडिया रिपोर्ट के अनुसार महिला और उसके जीजा को फरवरी 2017 में चंडीगढ़ के एक सत्र न्यायालय ने दोषी माना था. पीड़ित की माता को धारा 354-ए के तहत दोषी ठहराया गया था. उसे 120 आईपीसी की धारा के अनुसार 3 साल की कैद जबकि आरोपी युवक को धारा 354A के साथ-साथ POCSO अधिनियम की धारा आठ और बारह के तहत दोषी माना गया था. अदालत आरोपी युवक को 4 साल के कारावास की सजा सुनाई थी.
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विदित हो कि पीड़िता एक छात्रा है. उसने 2014 में पुलिसवालों को अपनी शिकायत में बताया था, कि माता और मौसा की वजह से वह डिप्रेशन में चली गई है. पीड़िता ने आरोप लगाया था, कि वर्ष 2011 के बाद से ही उसके मौसा ने एक से कई अधिक बार उसका यौन उत्पीड़न किया. साथ ही, उसकी माता ने हर बार इस बात पर ध्यान नही दिया. यही नहीं जब पीड़िता ने इसकी शिकायत अपनी माता से की तो उसकी जमकर पिटाई हुई
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