आखिर क्यों हर रोज नहीं मनाया जा सकता
आखिर क्यों हर रोज नहीं मनाया जा सकता "मदर्स डे"
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कल सुबह के सात ही सोशल मीडिया पर "हैप्पी मदर्स डे" और ऐसे ही पोस्ट देखने को मिलने लग गए थे. सोशल मीडिया का नजारा कुछ ऐसा दिखाई दे रहा था जैसा सबका प्यार एक ही दिन में बाहर आ गया था. कही कोई फेसबुक पर ऐसे सन्देश भेज रहा था तो कही व्हाट्सप्प पर सुबह से लेकर शाम तक माँ को लेकर मेसेज की लम्बी कतार थी.

लेकिन आज सुबह से ऐसा कुछ भी नहीं है. आज से लोग फिर से अपने अपने काम पर हर रोज की तरह लग गए है और इसके साथ ही आज सोशल मीडिया भी खामोश है. ऐसा लग ही नहीं रहा है कि मदर्स डे अभी कल की ही बात है. खैर कल माँ के नाम एक दिन होता है जिसके चलते सोशल मीडिया पर भी यह बताना बहुत ही जरुरी हो गया है कि हम माँ से कितना प्यार करते है. लेकिन क्या हम इस एक दिन की बजाय हर रोज मातृ दिवस नहीं मना सकते है.

जी हाँ, ऐसा क्यों कि आखिर एक ही दिन माँ के लिए इतना प्यार होता है हर रोज नहीं. ऐसे तो हर दिन हमारे सामने माँ पर होने वाले अत्याचारों की खबरें सामने आती है और हम उन्हें अनसुना कर देते है. तो क्या ऐसा नहीं हो सकता है कि हम केवल दिन ही नहीं हर रोज मातृ दिवस मनाए और अपनी माँ का ख्याल रखे.

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गूगल का डूडल मदर्स डे का इतिहास बताता है!

कुछ यू मनाया गूगल ने "मदर्स डे" !

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