मदर टेरेसा का नाम सुनते ही हमारे मन में एक दयालू और उदार छवि छा जाती है. आज ही के दिन साल 1910 में स्कोप्ज़े, उत्तरी मेसिडोनिया में उनका जन्म हुआ था. वे रोमन कैथोलिक चर्च द्वारा कलकत्ता की संत टेरेसा के नाम से नवाज़ी गई थी. मदर टेरसा रोमन कैथोलिक नन थीं. स्कोप्ज़े, उत्तरी मेसिडोनिया में जन्मीं एमडीआर टेरेसा ने बाद में भारतीय नागरिकता ले ली थी. आइए आज जानते है उनके बारे में कुछ ख़ास बातें...
मदर टेरेसा का बचपन का नाम “एग्नेस गौंझा बोनास्क्यू” था. बचपन की यह एग्नेस आगे चलकर “टेरेसा” और फिर मदर टेरसा, ममतामयी मां, गरीबों की मसीहा, विश्व जननी, मदर मैरी, संत आदि अनगिनत नामों से जानी गई. आज भी पूरी दुनिया उनकी उदारता और शांत स्वभाव के उदाहरण देती है. मदर द्वारा अपना सम्पूर्ण जीवन भारत मे ही रहकर दीन दुखियों की सेवा करने में बिताया गया.
ऐसे एग्नेस का नाम पड़ा मदर टेरेसा...
लोरेटो मठ के सन्यासी जीवन के साथ-साथ अगर उस समय मदर के जीवन को किसी के द्वारा सर्वाधिक प्रभावित किया गया तो वह थी, स्पेन की महान संत टेरेसा. जिन्होंने तब से लगभग 400 वर्ष पूर्व धर्मात्मा के चक्रव्यूह में फंसे स्पेन के लोगों को नए जीवन का अमर संदेश दिया और फिर यह संयोग था कि कुछ और कि उन महान संत टेरेसा ने भी जीवन के 18वें साल में सन्यासियों के जीवन को अपना लिया था. वहीं 29 नवंबर 1928 को महज 18 साल की उम्र में ही सन्यासी जीवन को एग्नेस ने भी अपना लिया था और अपने आदर्श और महान संत टेरेसा के पद चिन्हों पर चलने का प्रण करते हुए ही उन्होंने अपना नाम भी टेरेसा रख लिया. इतिहास के पन्नों पर यह नाम आज भी स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है.
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