माता सीता के दो नहीं एक ही पुत्र था
माता सीता के दो नहीं एक ही पुत्र था
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रामायण के बारे में तो वैसे सभी जानते हैं। रामायण के माध्यम से ही लोगो को भगवान राम के बारे में पता चलता है, उनके जीवन में घटित हुई घटनाओं का वर्णन हमें रामायण से ही मिलता हैं। लेकिन और भी बहुत सी बातें है, जिनसे हो सकता है कि आप भी अंजान हो। आज हम आपसे रामायण काल से जुड़ी कुछ ऐसी ही जरूरी बातों पर चर्चा करने वाले हैं, जिससे काफी कुछ लोग अंनजान है। 

रामायण से जुड़ी एक कथा के अनुसार माना जाता है कि सीता ने दो नहीं एक पुत्र को जन्म दिया था। माता सीता ने अयोध्या नगरी को छोड़ने के बाद महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में शरण ली थी। वहीं पर उन्होनें पुत्र लव को जन्म दिया। एक समय माता जंगल में गईं तो पीछे से महर्षि को लगा कि लव को कोई जंगली जानवर ले गया है और इस बात को माता सीता सहन नहीं कर पाएंगी। वाल्मीकि ने अपनी सिद्धि से कुशा घास से एक शिशु का निर्माण किया और उसमें अपनी सारी शक्ति का इस्तेमाल करके प्राणों का संचार कर दिया।

माता सीता जंगल से जब आश्रम लौटीं तो महर्षि चकित रह गए क्योंकि लव माता सीता के साथ था। वहां माता सीता ने लव जैसा पुत्र देखा तो वह बहुत ही प्रसन्न हुईं। महर्षि ने पूछा तो माता ने बताया कि वो लव को आज अपने साथ ले गईं थी। माता सीता ने उसे अपने पुत्र के रुप में स्वीकार लिया। कुशा से निर्मित होने के कारण उस बालक का नाम कुश रखा गया। इसी के कारण माता के दो पुत्रों की कहानी कही जाती है।

 

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