हिंदु धर्म में मां के शब्द की कई व्याख्याएं की गई है. लेकिन सबसे अधिक ज्ञान हमें अपने शास्त्रों से मिलता है. अगर बात करें शास्त्रों की तो वाल्मीकि रामायण में भगवान राम ने कहा है कि “जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरियसि. ” यानी मां और मातृभूमि स्वर्ग से भी श्रेष्ठ है. मां शब्द की उत्पत्ति और इसके अर्थ को लेकर कई तरह के मत हैं. अलग-अलग विधाओं ने मां शब्द की व्याख्या की है. कैसे एक अक्षर का यह संबोधन, पूरी सृष्टि का सबसे श्रेष्ठ संबोधन बन गया, जिसमें सम्मान, प्रेम, अपनापन, निष्काम भाव हर वो चीज जिसे आध्यात्म की दृष्टि से अनिवार्य तत्व माना जाता है, वो सारे भाव इस शब्द से जुड़ गए हैं.
जानकारी के लिए बता दें कि संस्कृत व्याकरण कहता है मां, म से मिलकर बना है. म से मा बना और मा से मां. मा शब्द के संस्कृत में दो अर्थ बताए गए हैं. मा एक अर्थ है मत (करो). लेकिन मां इस मा अक्षर से नहीं बना है. मा अक्षर का जो सबसे निकटतम अर्थ पुराण बताते हैं, वो है लक्ष्मी. संभवतः इसी मा (लक्ष्मी) से मां बना है. क्योंकि, लक्ष्मी पालन करती हैं, मां भी शिशु का पालन करती है. इस तरह देखा जाए तो मां लक्ष्मी का ही एक रूप है.
इस वजह से कुछ विद्वान मानते हैं माँ का मतलब मै + आ अर्थात मैं मतलब परमशक्ति और आ का मतलब आत्मा अर्थात माँ , इस तरह माँ ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ कृति है जिसके माध्यम से परमेश्वर अपने अंश द्वारा अपनी शक्ति का संचार और विस्तार करता है.
महामारी से बेखौफ होकर महिलाओं ने चलाया ई-रिक्शा, कोरोना योध्दाओं की ऐसे कर रही मदद
उज्जैन में 19 और कोरोना मरीज मिले, अब तक 43 लोगों ने गवाई जान
इंदौर में 1727 हुई कोरोना मरीजों की संख्या, वायरस के फैलाव की वजह ढूंढ रहा है आईबी