वैश्विक साख निर्धारक एजेंसी मूडीज के द्वारा हाल ही में एक बयान सामने आया है जिसके अनुसार बैंकों की बढ़ती गैर-नष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) एक अहम मुदा बना गई है. कहा गया है कि यदि आने वाले बजट के दौरान यदि सरकार सार्वजनिक बैंकों के पून: पूंजीकरण की राशि में बढ़ोतरी नहीं करती है तो इससे उनकी साख पर आंच आ सकती है.
एजेंसी के द्वारा ही यह भी कहा गया है कि 31 दिसंबर को समाप्त हुई तिमाही के दौरान बैंकों के NPA में 4.1 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिली है. जबकि साथ ही एजेंसी ने यह अनुमान भी लगाया है कि चालू वित्त वर्ष से मार्च 2019 तक इन सरकारी बैंकों को 1450 अरब रुपए की जरूरत लगने वाली है. यह भी बता दे कि इस अनुमान को लगते वक़्त NPA की बढ़ोतरी को लेकर सभी प्रभावों का भी ध्यान रखा गया है.
इस मामले में मूडीज के उपाध्यक्ष तथा वरिष्ठ साख अधिकारी श्रीकांत वदालमणी का यह बयान सामने आया है कि बजट में बैंकों के पुन: पूंजीकरण की योजना में यदि सरकार के द्वारा बदलाव नहीं किया जाता है तो यह एक नकारात्मक दबाव के रूप में सामने आ सकता है. बता दे कि इस बैंकों में भारतीय स्टेट बैंक, बैंक आॅफ बड़ौदा, बैंक आॅफ इंडिया, पंजाब नेशनल बैंक, केनरा बैंक, यूनियन बैंक आॅफ इंडिया, आईडीबीआई बैंक, सेंट्रल बैंक आॅफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक, सिंडिकेट बैंक तथा आॅरिएंटल बैंक आॅफ कॉमर्स के नाम भी सामने आ रहे है.