मानव के रूप में दानव...
मानव के रूप में दानव...
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हेलो दोस्तों मानव जिसे समाज का सबसे बुद्धिजीवी प्राणी माना जाता है, जो इस पृथ्वी लोक को अपने अनुसार चला रहा है।  समुद्र में रहने से लेकर हवा में उड़ने तक का सफर पूरा कर लिया, यहां तक कि इनकी खोजें वास्तविक रूप से इन्हें मानव प्रदर्शित करती है, कुछ समय बाद ये दूसरे ग्रह में जीवन भी संभव बना देंगे। इसी लगातार बदलती जिंदगी के संग में मनुष्य में काफी ज्यादा बदलाव दिन प्रतिदिन होते रहते हैं, भावी पीढ़ी में इतना बदलाव हो गया है कि उन्हें खुद भी नहीं पता क्या करने से इनका लाभ है।

जहां जानवर और मनुष्य में बस एक ही अंतर इन्हे अलग करता है, वह जानवर है, जो अपना दुख-सुख ही देखता है और मनुष्य को दूसरों की भावनाओं को भी समझना पड़ता है। इन्ही कारणों से इन्हें समाज में सबसे ऊंचा दर्जा दिया जाता है ताकि यह स्वयं के लाभ के साथ-साथ भविष्य में और दूसरों के लिए भी लाभकारी कार्य कर सके या उनके लिए सोच सके।  आज की पीढ़ी के मानव के अंदर 1 दानव में भी जन्म ले लिया है।  सुनने में मानव व दानव समान शब्द लग रहे हैं, किन्तु  दोस्तों इन दो शब्दों का अर्थ बिल्कुल विपरीत है मानव एक समाज का सभी प्राणी शुभचिंतक है जो हर गतिविधियों के अनुसार समाज में परिवर्तन लाता है, जबकि दानव एक खौफनाक शब्द है, जिसे सुनकर लोगों के मस्तिष्क में एक काल्पनिक चित्र (बड़े दाँत, बड़े नाख़ून सहित काला रंग) बनता हैं जो अपने हित के लिए समाज में किसी भी प्राणी से लेकर वातावरण तक को नष्ट कर देता है सोचो अगर यह दो नाम आपस में पूर्णता मिल जाए तो।

दोस्तों मानवों के भीतर तो दानव ने प्रवेश कर ही लिया है, दैनिक जीवन में बीत रही प्रतिदिन घटनाओं के माध्यम से हम इसका अनुमान लगा सकते हैं। मानव जिसे शुभचिंतक माना जाता है, वह आजकल नशे का आदी हो चुका है जो खुद के जीवन की भी चिंता नहीं कर रहा है।  नारी शोषण जो वर्तमान में घटित प्रचलित घटना है, मानव यह सब नशे में ही करता है खुद की जिंदगी नहीं बल्कि दूसरे की जिंदगी भी बर्बाद कर देता है मानव मै दानव का पहला रूप यह हमें सामने आता है। आम जिंदगी मैं लोगों ने पैसे को इतना महत्व दे दिया है कि अगर वह कुछ कर रहे हैं तो मकसद उनका पैसा ही पाना है किसी भी तौर तरीके से गैरकानूनी तरीके से पैसों का भूत मानव पर इस प्रकार समा चुका है कि उसके सिवा समाज में और कुछ दिखाई ही नहीं देता l

यह इसके लिए पृथ्वी तक को इतना नुकसान पहुंचा चुका हैl जो पृथ्वी इसे सब कुछ दे रही है और मानव के दानव ने पृथ्वी को ही संकट में डाल दिया है नदियों का शुद्ध जल को जहरीला कर दिया है।  शुद्ध वायु को प्रदूषित कर दिया अपनी आवश्यकता पूर्ति के लिए उपयोग तो सब कुछ किया और कर रहा है परंतु आने वाली पीढ़ी के बारे में सोच ही नहीं रहा है कि वह क्या आगे करेगी यह दानव का ही रूप है। दोस्तों सबसे भयानक दानव तो मनु मानव के सोच का है, जो उसे समाज को प्रदूषित करने के लिए रोकता नहीं बल्कि उसे उत्साहित करता है। कुछ का सुझाव भी है यहां सिर्फ मानव की सोच के अलावा अब तो मानव की सोच इतनी बेकार हो चुकी है कि वह अब सोचता कुछ है कहता कुछ है और करता कुछ और ही है।  यह दानव एक दिन मानव को ही नष्ट कर देगा क्योंकि दानव के लिए उससे बढ़कर और कोई नहीं है।

तुम हो एक सुंदर मानव
ना आने दो अपने अंदर दानव l
सब हो तो हो तुम
मत हो अपने अंदर ही गुमl
सबको जानो सब से पूछो तुम मानव हो सबकी सोचो
होते हुए तुम्हारे रो ना सके कोई गिरते हुए आंसू को तुम पूछो l

 ---पंकज आगरी 

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