बदला लेने के लिए 22 किलोमीटर का सफर कर पहुंचा बंदर!, जानिए पूरा माजरा
बदला लेने के लिए 22 किलोमीटर का सफर कर पहुंचा बंदर!, जानिए पूरा माजरा
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दुनियाभर से कई चौकाने वाली खबरें आती रहती हैं। अब हाल ही में जो खबर आई है वह जिला चिकमगलूर, कर्नाटक के कोट्टिघेरा गांव से सामने आई है। यहाँ कुछ चौकाने वाला हुआ है। जी दरअसल यहां Bonnet Macaque प्रजाति का एक बंदर लोगों के लिए ख़ौफ़ का दूसरा नाम बन गया है! मिली जानकारी के तहत यह बंदर 5 साल का है और यह लोगों से फल और खाने की चीज़ें छिन रहा था। ऐसे में पहले तो लोगों ने ज़्यादा ध्यान नहीं दिया क्योंकि बंदर ऐसा ही करते हैं लेकिन स्कूल खुलने के बाद ये बंदर मोरारजी देसाई स्कूल के आस-पास घूमने-फिरने लगा। इस दौरान बच्चे बंदर से डर रहे थे।

इसी बीच किसी ने वन विभाग को खबर दे दी और शरारती बंदर को पकड़ने के लिए एक टीम पहुंची। टीम ने बहुत मशक्कत के बाद बंदर को पकड़ा। इस दौरान एक ऑटोरिक्शा चालक, जगदीश भी मदद के लिए पहुंचा था लेकिन इसी बीच परेशान बंदर ने जगदीश पर हमला कर दिया। यह देखकर जगदीश वहां से भाग गया लेकिन बंदर उसके पीछे भागा और फिर जगदीश अपने ऑटो में छिप गया लेकिन बंदर ने उसके ऑटो की शीट्स फाड़ दी। इस बारे में बताते हुए जगदीश ने कहा- "मै बहुत डर गया था। मैं जहां जाऊं वो पागल बंदर मेरे पीछे पड़ जाए। उसने मुझे इतनी ज़ोर से काटा कि डॉक्टर्स ने कहा ज़ख़्म ठीक होने में एक महीना लगेगा। मैं अपना ऑटोरिक्शा भी नहीं चला सकता। उस दिन मैं घर नहीं गया क्योंकि मुझे डर था कि वो घर तक पीछा करेगा। घर पर छोटे बच्चे हैं। अगर वो उन पर हमला कर दे तो। मैं अभी भी डरा हुआ हूं।"

करीब 30 लोगों की 3 घंटे की मशक्कत के बाद बंदर को पकड़ा गया। उसके बाद वन विभाग ने गांव से 22 किलोमीटर दूर बालुर जंगल में बंदर को छोड़ दिया। यह देखकर सभी को लगा कि अब बंदर नहीं आएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ बल्कि बंदर बालुर जंगल के पास से जा रहे ट्रक पर चढ़ा और दोबारा कोट्टिघेरा गांव तक पहुंचा। जैसे ही जगदीश को बंदर की वापसी की बात पता चली तो उसके हाथ पैर फुल गए। जगदीश ने एक वेबसाइट से बातचीत में बताया, "जब मैंने सुना कि बंदर वापस आ गया है मेरे रौंगटे खड़े हो गए। मैंने ख़ुद वन विभाग को फ़ोन किया और उन्हें जल्द से जल्द आने को कहा। मैं अपने घर से बाहर नहीं गया हूं। मुझे पता है ये वही बंदर है क्योंकि पिछली बार हमने उसके कान के पीछे निशान देखा था और मेरे दोस्त ने बताया कि गांववालों ने बंदर के कान पर निशान देखा है।" वहीँ उसके बाद वन विभाग की टीम दोबारा आई और उसे दूसरी बार दूर-दराज़ के जंगल में छोड़ आई। अब सभी को उम्मीद है कि वह दोबारा नहीं आएगा।

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