जैन धर्म में मोक्ष सप्तमी का खास महत्व
जैन धर्म में मोक्ष सप्तमी का खास महत्व
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जैन धर्म के अनुसार श्रावण शुक्ल सप्तमी के दिन 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ के मोक्ष कल्याणक दिवस मनाया जाता है.  बता दें ये दिवस आज यानि 7 अगस्त 2019, को मानाया जा रहा है. इस दिन जैन आगम के 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ का मोक्ष कल्याणक दिवस मोक्ष सप्तमी महामहोत्सव के रूप में मनाया जाएगा. जैसा कि आप जानते हैं दिगंबर एवं श्वेतांबर जैन मंदिरों में भगवान पार्श्वनाथ की विशेष पूजा-अर्चना, शांतिधारा कर निर्वाण लाडू चढ़ाने की प्रथा है. 

इस दिन जयकारों एवं मंत्रोच्चार के साथ भगवान का अभिषेक, विश्व की मंगल कामना एवं सुख-समृद्धि के लिए शांतिधारा, सामूहिक पूजा की जाती है. निर्वाण कांड के सामूहिक उच्चारण के बाद निर्वाण लाडू चढ़ाया जाता है तथा भगवान पार्श्वनाथ की आरती की जाएगी. इसके साथ ही मोक्ष (मुकुट) सप्तमी के उपलक्ष्य में कुंवारी कन्याएं पूरे दिन का उपवास रखेंगी. कहा जाता है इससे उन्हें मोक्ष मिलता है.

वहीं माना जाता है जैन धर्म के अनुसार जिसका मोक्ष हो जाता है उसका मनुष्य भव में जन्म लेना सार्थक हो जाता है. यानि अगर उसका मनुष्य जीवन सफल रहा. जब तक संसार है तब तक चिंता रहती है, जहां मोक्ष का पूर्णरूपेण क्षय हो जाता है वहीं मोक्ष हो जाता है.

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