मोहम्मद ज़ुबैर के फोन में क्या है ? दिल्ली पुलिस की जांच में नहीं कर रहे सहयोग
मोहम्मद ज़ुबैर के फोन में क्या है ? दिल्ली पुलिस की जांच में नहीं कर रहे सहयोग
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नई दिल्ली: AltNews के सह संस्थापक मोहम्मद जुबैर गिरफ्तार होने के बाद जाँच और पूछताछ में दिल्ली पुलिस के साथ सहयोग नहीं कर रहे हैं। रिमांड कॉपी से AltNews के संस्थापक प्रतीक सिन्हा के झूठ भी सामने आ गया है। पुलिस ने जुबैर को जाँच में सहयोग करने के लिए पहले भी सेक्शन 41A के तहत नोटिस दिया था, गिरफ़्तारी अचानक नहीं की गई। बताया जा रहा है कि, जुबैर ने अपने इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के संबंध में भी पुलिस को कोई जानकारी नहीं दी है। 

अब गिरफ्तार होने के बाद जुबैर का कहना है कि उसका वो फोन खो चुका है, जिससे उसने 2018 में ये ट्वीट्स किए थे। वहीं, दिल्ली पुलिस का कहना है कि जुबैर जाँच और पूछताछ में सहयोग नहीं कर रहा है। उसने ज्यादातर सवालों के जवाब नहीं दिए और दस्तावेज़ों पर हस्ताक्षर करने से भी मना कर दिया। बता दें कि पुलिस ने उससे सूचनाएँ निकलवाने के लिए कोर्ट से ज़ुबैर की एक दिन की हिरासत माँगी थी। इसी के चलते मोहम्मद जुबैर को अपना गैजेट खोजने के लिए भी कहा गया था, पूरी जाँच में ये गैजेट मुख्य सबूत है।

जुबैर पर दर्ज की गई प्राथमिकी की कॉपी भी सामने आ चुकी है। ये FIR ‘हनुमान भक्त’ नाम के ट्विटर हैंडल द्वारा दाखिल की गई शिकायत पर दर्ज हुई है। इसमें ज़ुबैर ने भगवन हनुमान का मजाक उड़ाया था। ज़ुबैर ने अपने ट्वीट में हनुमान जी को ‘हनीमून’ से जोड़ा था। हिन्दू धर्म में हनुमान जी को बाल ब्रह्मचारी माना जाता है। ऐसे में ज़ुबैर के इस ट्वीट को हिन्दू समाज की भावनाओं को भड़काने वाला बताया गया, जो बाद में शांति और सामंजस्यता के लिए खतरा बन सकता है। साथ ही ज़ुबैर पर घृणा फैलाने के भी इल्जाम लगे हैं। FIR की संवेदनशीलता के चलते इसे ऑनलाइन पोस्ट नहीं किया गया है।

FIR में कहा गया है कि जुबैर ने जानबूझ कर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के जरिए धार्मिक भावनाएँ भड़काने वाली पोस्ट्स की हैं, जिससे समाज की शांति भंग होती है। यह FIR सब-इंस्पेक्टर स्तर के पुलिस अधिकारी ने दर्ज कराई है। वहीं, दूसरी तरफ कांग्रेस के साथ कुछ अन्य विपक्षी दल भी ज़ुबैर के समर्थन में उतर आए हैं और की रिहाई की माँग कर रहे हैं। यही नहीं, ‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (EGI)’ ने भी ज़ुबैर की गिरफ़्तारी की आलोचना करते हुए लंबा-चौड़ा बयान जारी किया है। बता दें कि मोहम्मद ज़ुबैर खुद बता चुके हैं कि वो पत्रकार नहीं है, लेकिन इसके बाद भी EGI का ज़ुबैर की रिहाई की मांग करना कई सवाल पैदा कर रहा है। क्योंकि, इसी EGI ने रिपब्लिक TV के एडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी की गिरफ़्तारी पर सिर्फ इतना कहकर पल्ला झाड़ लिया था कि, महाराष्ट्र पुलिस अर्नब के साथ अच्छा बर्ताव करे। EGI ने एक पत्रकार होते हुए भी अर्नब की रिहाई की मांग नहीं की थी, वहीं अब ज़ुबैर पर EGI का ये बयान उनके दोहरे रवैये को दर्शा रहा है।  

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