नरेंद्र मोदी ने हाल ही मे पाकिस्तान मे नवाज़ के घर पर बिना किसी योजना के जाकर क्या साबित करना चाहा है इसकी बस अटकले ही लगाई जा सकती है। कोई इस दौरे की तारीफ कर रहा था तो कोई निंदा पर दोनों देश प्रमुख के अपने व्यस्ततम समय से 2 घंटे निकाल कर मिले है तो ज़रूरी ही होगा।
देश के प्रधानमंत्री मोदी इतने मुड़ी नहीं के यू ही पाकिस्तान का दौरा कर आए। मोदी ने ज़रूर नवाज़ से कहा होगा की मैंने तो आने का वादा पूरा कर दिया, अब आतंकवाद खत्म करने की तुम्हारी बारी है। इससे नवाज़ यह तो समझ ही गए होंगे कि मोदी पार्टी लाइन से हट कर भी दोनों देशो की मित्रता के लिए कुछ करने की ताकत रखते है।
खेर मोदी कि अच्छी बात यह भी है कि उन्हे भूत पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जैसे पार्टी के अध्यक्ष की अनुमति नहीं लेनी पड़ती है। न हीं नवाज़ शरीफ जैसे आर्मी चीफ़ से पूछना पड़ता है। मोदी सुनते सबकी है पर करते मन की है।
मोदी ने मन कि बात मे वही पुराना दस्तूर निभाते हुए ज्वलनशील मुद्दो से बचते हुए जन भागीदारी कि बात कर डाली। जनता के पाकिस्तान जाने पर या रूस से 70 हजार करोड़ कि रक्षा डील के सवाल पर चुप्पी साध ली। कर्तव्यो पर MYGOV एप और नरेंद्र मोदी एप पर प्रतिस्पर्धा बुलवाने वाले मोदी खुद ही अपनी जवाबदेही का कर्तव्य शायद भुल गए ।
ट्रान्सफर स्कीम के गिनीस बूक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड मे शामिल होने पर देश को बधाई देने वाले प्रधान मंत्री का खुद का नाम, देश से सबसे ज्यादा विदेशी दौरे पर रहने वाले प्रधानमंत्री के तौर पर गिनीस बूक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड मे शामिल न हो जाए।
स्टार्टअप के लिए 16 जनवरी को सरकार की तरफ से एक बड़े कार्यक्रम की घोषणा और देश को विश्व मे स्टार्टअप देश बनाने की योजना को केवल उद्योगपतियों और पूंजीपतियों तक सीमित न रखने का विचार बेहतर प्रतीत होता है। मोदी कि स्टार्टअप की सीमा का विस्तार करके इससे छोटे मज़दूर के लिए व्यवसाय की संभावना मे बदलना एक बहुत बड़ी चुनोती है या सपना है, देखने योग्य होगा।
डिसेबलिटी डे पर शारीरिक रूप से विकलांग लोगो को केवल दिव्यांग कहने से मसला सुलझ नहीं जाता। उनके प्रति कर्तव्यो को पूरा करने की ज़रूरत है। अपनी एप पर लोगो को सलाह देने पर काफी समय से आह्वान की श्रृंखला चल रही है पर पुख्ता रूप से सलाह और सुझावो से कितनी योजनाओ मे मदत मिली है सब जानना चाहते है।
'हिमांशु मुरार'