केंद्र सरकार ने मृतक सरकारी कर्मचारी के पति या पत्नी को कर्मचारी की हत्या या इस तरह के अपराध के कमीशन के लिए उकसाने के आरोप में पारिवारिक पेंशन के निलंबन से संबंधित दशकों पुरानी नीति में संशोधन किया है। केंद्रीय सिविल सेवा पेंशन नियम, 1972 के तहत प्रावधान, यदि कोई व्यक्ति जो सरकारी कर्मचारी या पेंशनभोगी की मृत्यु पर पारिवारिक पेंशन प्राप्त करने के लिए पात्र है, पर सरकारी कर्मचारी या पेंशनभोगी की हत्या या इस तरह के कमीशन में उकसाने के अपराध का आरोप लगाया जाता है।
वही एक अपराध, पारिवारिक पेंशन का भुगतान आपराधिक कार्यवाही के समापन तक निलंबित रहेगा। ऐसी स्थिति में न तो अपराध के आरोपित व्यक्ति को न ही परिवार के किसी अन्य पात्र सदस्य को मामले की समाप्ति तक पारिवारिक पेंशन का भुगतान किया जाता है। नए नियम के अनुसार मृतक कर्मचारी के पति या पत्नी के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही का निपटारा होने तक परिवार के अन्य पात्र सदस्य पारिवारिक पेंशन प्राप्त करने के पात्र होंगे। यदि पति या पत्नी हत्या के आरोप में दोषी नहीं साबित होता है, तो परिवार पेंशन बरी होने की तारीख से उसे देय होगी।
वही यदि आपराधिक कार्यवाही के समापन पर, संबंधित व्यक्ति को किसी सरकारी कर्मचारी की हत्या या हत्या के लिए उकसाने के लिए दोषी ठहराया जाता है, तो उसे पारिवारिक पेंशन प्राप्त करने से वंचित कर दिया जाएगा। ऐसे मामले में, सरकारी कर्मचारी की मृत्यु की तारीख से परिवार के किसी अन्य हकदार सदस्य को पारिवारिक पेंशन देय हो जाएगी।
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