मोदी मंत्र की फूंक से जातिगत राजनीति की काट का प्रयास
मोदी मंत्र की फूंक से जातिगत राजनीति की काट का प्रयास
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एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी ने नमो नमो के मंत्र से बिहार चुनाव में अपने प्रचार का शंखनाद कर दिया है। बिहार में चुनावी समर बेहद दिलचस्प हो गया है। जहां हर दिन जनता परिवार भाजपा के नाम में कीलें चुभो रहा है वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुनावी रैली से भाजपा ने मुजफ्फरपुर में मतदाताओं को साधने का प्रयास किया है। मोदी सही समय पर तीर से निशाना करना जानते हैं इसलिए उन्होंने बिहार को एक ही दिन में कई सौगातें दे दीं।

बिहार में दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के माध्यम से ग्रामों को विद्युत आपूर्ति दी और नीतिश सरकार पर विद्युत आपूर्ति मुहैया न करवाने को लेकर सवालों की बौछार भी कर दी। राजनीति के पुराने साथी एक बार फिर मंच पर दिखे तो सही लेकिन दोनों ने ही इशारों इशारों में कह दिया अबकी बार चुनावी वार की बौछार। जी हां, बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश केंद्र की योजनाओं को निराशाजनक बताकर और उनके विलंब से प्रारंभ होने की बात कहकर केंद्र के श्रेय लेने की रणनीति को कमजोर करते रहे तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न अटलजी के कार्यकाल का उल्लेख कर नीतिश की उदासीनता को सामने रखा।

भाजपा ने विकासीय योजनाओं के माध्यम से विकासवादी तोहफों का पिटारा  बिहार की जनता के सामने खोल तो दिया लेकिन अभी भी इस बात में संदेह है कि मोदी मंत्र की फूंक बिहार के जातिगत समीकरण को तोड़ पाएगी हालांकि भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी के माध्यम से जातिगत समीकरण साधने के प्रयास किए हैं लेकिन यादवों का वोट बैंक अभी भी जनता परिवार के पाले में जाता हुआ नज़र आ रहा है। 

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