'मोदी जी हम जैसे ज्‍यादातर स‍िखों से बेहतर सिख..', इक़बाल सिंह ने गिनाए PM के काम
'मोदी जी हम जैसे ज्‍यादातर स‍िखों से बेहतर सिख..', इक़बाल सिंह ने गिनाए PM के काम
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नई दिल्ली: राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि पीएम मोदी ‘हममें से ज्यादातर लोगों से बेहतर सिख’ हैं। IPS अधिकारी से भाजपा नेता बने लालपुरा ने यह भी दावा किया कि सरकार सिखों के लिए ‘सब कुछ’ कर रही है। इकबाल सिंह लालपुरा ने एक साक्षात्कार के दौरान सिखों के जख्मों को पूरी तरह ‘भरने’ के लिए और ज्यादा कोशिश करने की आवश्यकता बताई। बता दें कि पंजाब पुलिस में उपमहानिरीक्षक रह चुके लालपुरा को अगस्त 2022 में भाजपा संसदीय बोर्ड में जगह दी गई थी।

सरकार सिखों के लिए सब कुछ कर रही है का दावा करते हुए इकबाल सिंह लालपुरा ने मोदी सरकार की कुछ खास पहल का हवाला भी दिया। उन्होंने इन पहल में वर्ष 2019 में करतारपुर गलियारा खोला जाना और फिर उसी साल एक सीक्रेट ब्लैकलिस्ट से विदेशों में बसे सिखों का नाम हटाने का उल्लेख किया। उन्होंने आगे कहा कि, 'सिखों को विदेशी नागरिकों की ब्लैक लिस्ट से हटा दिया गया है। हम उन्हें नौकरियां प्रदान कर रहे हैं। मोदी सरकार सब कुछ कर रही है। पीएम मोदी सिखों के लिए हमेशा उपलब्ध हैं।' उन्होंने कहा कि, 'हम सिखों से प्यार करते हैं और उनके लिए कुछ भी करने के लिए तैयार हैं। मोदी जी ने ऐलान किया था कि वह गुरु नानक देव के जन्मदिन पर कृषि कानूनों को वापस ले रहे हैं। मोदी जी हममें से ज्यादातर सिखों से बेहतर सिख हैं।' लालपुरा ने कहा कि भाजपा, सिखों के साथ शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के विचार को साकार करना चाहती है।

उन्होंने कहा कि पंजाब में उग्रवाद के दौर के जख्म अभी भी सिखों के मन में ताजा हैं, खासकर उन लोगों में जिनके परिवार के सदस्य या तो मारे गए थे या टाडा के तहत अरेस्ट कर लिए गए थे। उन्होंने कहा कि, 'उस वक़्त पंजाब में लागू रहे इस आतंकवाद-रोधी पूर्व कानून के तहत कानून प्रवर्तन एजेंसियों को व्यापक स्तर पर तलाशी, जब्ती और गिरफ्तारी का अधिकार मिला हुआ था।' लालपुरा ने कहा कि आतंकवाद के दौर में अपने स्वजनों को खोने वाले सिखों के घावों को भरने के लिए बहुत कुछ नहीं किया गया है।

उन्होंने कहा कि, 'आतंकवाद के दौर में लगभग 10,000 सिख मारे गए थे और 15,000 को अरेस्ट किया गया था। ऐसे 25,000 लोगों के परिवार आज भी आहत महसूस कर रहे हैं। हमें उनसे बात करने की आवश्यकता है और इसके लिए कोशिश की जा रही है। वर्ष 1992-93 तक हजारों लोगों ने सरेंडर किया, मगर हमने उनके घावों को भरने के लिए कुछ नहीं किया है।'

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