दिल्ली : गुरूवार को मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक-2017 पर मोदी सरकार ने पहली बाधा पार कर ली है. अब इस विधेयक (Bill) को राज्यसभा में पेश करने की तैयारी है. अगर अब मोदी सरकार राज्यसभा में भी इस विधेयक को पास करा लेती है, तो फिर तीसरे दौर में इसको राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा. राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह विधेयक कानून बन जाएगा.
आपको बता दें कि मोदी सरकार ने गुरूवार को लोकसभा में इस पास करा लिया है अब राज्यसभा में इस विधेयक पर चर्चा होगी, जहां बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार का बहुमत नहीं है. वहीँ तीन तलाक के खिलाफ इस बिल में सजा के प्रावधान को लेकर विपक्षी दल विरोध कर रहे हैं. साथ ही इसमें संशोधन की मांग भी कर रहे हैं. लोकसभा में भी AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी समेत अन्य ने संशोधन प्रस्ताव पेश किया है लेकिन समर्थन नहीं मिलने से खारिज हो गया है. अब सरकार के लिए राज्यसभा से इस बिल को पारित कराना बड़ी चुनौती है.
वहीं, मोदी सरकार के मंत्री और बीजेपी तीन तलाक बिल पर सहमति बनाने के लिए विपक्षी पार्टियों से बातचीत में जुटी हुई हैं. मोदी सरकार इसी शीतकालीन सत्र में इस बिल को राज्यसभा से पारित कराना चाहती है, जो टेढ़ी खीर से कम नहीं है. इसकी वजह यह है कि राज्यसभा में बीजेपी का बहुमत नहीं है.
लोकसभा से बिल पारित होने के बाद केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि हमें पूरा विश्वास है कि कांग्रेस लोकसभा की तरह ही राज्यसभा में भी तीन तलाक बिल पर हमारा साथ देगी और हम बिल को संसद से पारित कराने में कामयाब रहेंगे. रविशंकर प्रसाद ने कहा कि मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए तीन तलाक बिल आया है. यह महिलाओं की गरिमा से जुड़ा है और हम शरीयत में दखल नहीं देना चाहते हैं. पाकिस्तान सहित कई मुस्लिम देशों में भी तीन तलाक पर रोक है.
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