मोढ़ेरा, जहां सबसे पहले गर्भगृह को छूती है सूर्य की पहली किरण
मोढ़ेरा, जहां सबसे पहले गर्भगृह को छूती है सूर्य की पहली किरण
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देशभर में भगवान सूर्य के कई मंदिर हैं। इन मंदिरों में सभी मंदिर भव्य और सुंदर हैं। इन मंदिरों में कुछ मंदिर नए बने हैं तो कुछ मंदिर अतिप्राचीन हैं। अहमदाबाद से करीब 100 किलोमीटर दूर स्थित इन मंदिरों का निर्माण सम्राट भीमदेव सोलंकी प्रथम ने करवाया था। मंदिर के समीप एक शिलालेख भी स्थापित हैं जिसमें मंदिर की समस्त जानकारी दी गई है। सोलंकी सूर्यवंशी थे। वे सूर्य को अपने कुलदेवता के रूप में पूजते थे। यही नहीं उन्होंने क्षेत्र में एक भव्य सूर्य मंदिर की स्थापना का निश्चय किया।  

मंदिर बहुत ही भव्य है। इस मंदिर की स्थापत्य और शिल्पकला देखते ही बनती है। प्राचीन आर्किट्रेक्ट का यह एक बहुत ही शानदार उदाहरण है। मंदिर का विकास ईरानी शैली में हुआ था। मंदिर को भीमदेव ने तीन हिस्सों में बनवाया था। पहला हिस्सा गर्भगृह, दूसरा सभामंेडप और तीसरा सूर्य कुण्ड के तौर पर जाना जाता है।

देवी- देवताओं के फोटो के साथ रामायण और महाभारत के प्रसंगों को मंदिर में उकेरा गया है। इससे इन महाकाव्यों के प्रसंगों को भी समझा जा सकता है। मंदिर इतना भव्य है कि मंदिर में प्रवेश करने के बाद यहां से जाने का मन ही नहीं करताह। इस मंदिर में भी सूर्य देव की पहली किरण मंदिर के गर्भगृह पर पड़ती है।

अलाउद्दीन खिलजी के आक्रमण से मंदिर को नुकसान पहुंचा था लेकिन बाद में इसे ठीक करवाने के प्रयास किए गए। यह मंदिर सूर्य देव द्वारा नियंत्रित समय की गति को दर्शाता है। मंदिर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने अपनी देखरेख में ले रखा है।

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