style="text-align: justify;">नई दिल्ली : कोल इंडिया का प्रॉडक्शन में वृद्धि होने से देश इस वर्ष गर्मियों में एक नए परिवर्तन का गवाह बनने की आशा हो सकती है. प्रधानमंत्री मोदी के लिए यह एक सबसे बड़ी सफलता प्राप्त होगी जो गत वर्ष मई में प्रधानमंत्री पद पर नियुक्त होने के बाद से ही बिजली संकट को लेकर अन्य पार्टिंयों का विरोध कैच कर रहे हैं.
कोयला खदानों को तेजी से स्वीकृति, भारी प्रॉडक्शन और कोयला बिक्री के ज्यादा लचीलेपन ने पावर स्टेशन को पिछलें 6 वर्ष से पेश की कमी को पूरा करने में सहायता मिलेगी। हम आपको बताते है कि मोदी अपने कार्यकाल का एक वर्ष पूरा करने वाले हैं और उनकी नजर देश की 125 करोड़ के लोगों को 2019 तक 24 घंटे बिजली के वादे को पूरा करने पर कार्य कर रहे है.
सरकारी आंकलन के अनुसार बताया जाता है कि पावर स्टेशनों के पास 28 मिलियन टन कोयला भंडार गया है जो गत वर्ष से 38 प्रतिशत अधिक है. हेड ऑफ थर्मल पावर व्यापार एट कंस्ट्रक्शन, पावर एंड रियल एस्टेट के राजा गोपाल ने बताया है कि 'हालात बहुत ही अच्छी हो रही है. अभी बहुत कुछ होना शेष रह गया है. बल्कि इससे पहले कभी 8-9 प्रतिशत की वृद्धि नहीं देखी गई थी.
कोयला खरीदने के मामले में भारत विश्व में तीसरे नंबर पर है. गत वर्ष के 200 मिलियन टन के मुकाबले भारत इस वर्ष अपने आयात में एक चौथाई से कम की कटौती कर सकता है. बताया जाता है कि 2012 में भारत ने सबसे बुरे 'ब्लैक आउट" का मुकाबला किया था। इस ब्लैक आउट का मुकाबला देश को कोयला, पुरानी ट्रांसमिशन लाइनों और ग्रिड पर अधिक बोझ आने के चलते करना पड़ा था...