पुरे हिन्दुस्तान में मिल्कमैन’ के नाम से मशहूर और भारत में श्वेत क्रांति के जनक डॉ. वर्गीज़ कुरियन की आज छटवी पुण्यतिथि है। उन्हें देश में श्वेत क्रांति की शुरुवात करने के लिए सदा ही सम्मान से याद किया जाता है। उनके संगर्ष का ही नतीजा है कि आज भारत दुनिया के सबसे ज्यादा दूध उत्पादन करने वाले देशो में शामिल हो गया है। लेकिन इतने संगर्ष और जनकल्याण को अपनी जिंदगी समर्पित करने के बावजूद आज देश की आबादी का एक बड़ा हिस्सा उन्हें भुला चूका है।
तो चलिए इस महापुरुष की पुण्यतिथि पर हम आपको बताते है उनकी जीवनी और उनकी जिंदगी से जुड़े कुछ अहम् तथ्य।
प्रारंभिक जीवन
डॉ. वर्गीज़ कुरियन का जन्म 26 नवंबर, 1921 को केरल के कोझिकोड में हुआ था। उन्होंने 1940 में चेन्नई के लोयला कॉलेज से विज्ञान विषय में ग्रेजुएशन किया था। इसके बाद उन्होंने चेन्नई के एक इंजीनियरिंग कॉलेज से इंजीनियरिंग में भी की डिग्री प्राप्त की थी। उन्हें उनकी होनहारिता के लिए भारत सरकार की ओर से इंजीनियरिंग में अध्ययन करने के लिए छात्रवृत्ति भी प्रदान की जाती थी।
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डॉ. वर्गीज़ ने 1948 में मैकेनिकल इंजीनियरिंग में एम् टेक की डिग्री हासिल की है जिसमें डेयरी इंजीनियरिंग भी एक विषय था। यही से उनका दुग्ध क्रांति की और रुझान बढ़ा था।
कैरियर
डॉ वर्गीज कुरियन ने 1948 में अमेरिका से अपनी पढाई पूरी करने के बाद वापस भारत में आकर सरकार के डेयरी विभाग ज्वाइन कर लिया था। इस दौरान उन्होंने गुजरात के किसानों में दूध के उत्पादन को बढ़ने की विधिया और इसके फायदे गिनने भी शुरू कर दिए थे और यही से शुरू हुआ था भारत में दूध को लेकर सबसे बड़ा आंदोलन जिसे स्वेत क्रांति भी कहा जाता है।
इस आंदोलन के दौरान ही उन्होंने अमूल कंपनी की नीव भी रखी थी। कुरियन का सपना भारत को दुग्ध उत्पादन में आत्मनिर्भर करने के साथ– साथ किसानों की दशा भी सुधारना था। भैंस के दूध से पाउडर बनाने का श्रेय भी उन्ही को जाता है। इसी प्रोडक्ट की वजह से ही उनकी कंपनी नेश्ले जैसे प्रतिद्वंदी का मुकाबला कर पाने में सक्षम हो पायी। 9 सितंबर 2012 को उनका निधन हो गया था।
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