मस्जिद में छिपे दानिश सिद्द्की को तालिबानियों ने घसीट के निकाला, फिर गोलियों से कर दिया छलनी- रिपोर्ट्स
मस्जिद में छिपे दानिश सिद्द्की को तालिबानियों ने घसीट के निकाला, फिर गोलियों से कर दिया छलनी- रिपोर्ट्स
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काबुल: अफगानिस्तान के कंधार के स्पिन बोल्डक में कवरेज करने पहुँचे भारतीय फोटो जर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी के क़त्ल को लेकर नई जानकारी सामने आई है। अभी तक जहाँ रवीश कुमार उन बंदूक की गोलियों पर लानत भेज रहे थे, जो दानिश को लगीं और जिनसे उनकी मौत हुई। वहीं इस नई जानकारी से स्पष्ट हो गया है कि कैसे आतंकी तालिबानियों ने जानबूझकर दानिश को अपना शिकार बनाया और उनकी भारतीय पहचान जानने के बाद उनकी बेरहमी से हत्या कर दी। तालिबानियों ने दानिश को जीवित अवस्था में पकड़ा, वो भी तब जब वो मस्जिद में छिपे थे और अपना उपचार करवा रहे थे। 

वाशिंगटन एक्जामिनर में प्रकाशित माइकल रुबीन (Michael Rubin) की रिपोर्ट के मुताबिक, न्यूज चैनलों में जो दानिश की मौत को लेकर खबरें चली हैं, वह सिर्फ उस बर्बरता को छिपाने की कोशिश है जो तालिबानियों ने की है। दरअसल, कई मीडिया रिपोर्ट्स में पूरे दावे के साथ बताया गया था कि अफगानिस्तान और तालिबान के बीच जारी संघर्ष को कवर करने पहुँचे दानिश की गोली लगने से मौत हो गई। जबकि माइकल का कहना है कि दानिश, क्रॉस फायरिंग में नहीं मरे, बल्कि तालिबान ने उन्हें जानबूझकर और बेरहमी से मारा। अफगान के स्थानीय प्रशासन ने इस बारे में बताया है कि घटना वाले दिन सिद्दीकी स्पिन बोल्डक क्षेत्र में अफगान की सेना के साथ यात्रा कर रहे थे। इसी दौरान एक अटैक हुआ और पूरी सेना तितर-बितर हो गई। सिद्दीकी के साथ जो कमांडर और आर्मी के लोग मौजूद थे, वे भी अलग हो गए। उनके साथ सिर्फ तीन सैनिक बचे थे, इसी बीच सिद्दीकी को गोलीबारी के छर्रे आकर लगे। सिद्दीकी जख्मी अवस्था में एक स्थानीय मस्जिद में घुसे और अपना प्राथमिक इलाज करवाया। लेकिन, कुछ देर में यह खबर चारों तरफ फैल गई कि मस्जिद में कोई पत्रकार मौजूद है। यह सुनने के बाद तालिबान ने बकायदा सुनियोजित तरीके से मस्जिद पर ही हमला कर दिया। रिपोर्ट में बताया गया है कि सिद्दीकी जिंदा थे, जब उन्हें तालिबानियों ने पकड़ा, उन्हें घसीट कर मस्जिद से बाहर निकाला गया। 

रिपोर्ट के अनुसार,  बाहर निकालकर उनसे पूछा गया कि वह कहाँ से हैं। पहचान जानने के बाद न सिर्फ उन्हें मारा गया, बल्कि उनके साथ जितने लोग थे सबकी जान ले ली गई। आर्मी के कमांडर और उनके साथ मौजूद अन्य टीम से सदस्य भी वहीं मार गिराए गए। माइकल के मुताबिक, दानिश की कुछ फोटो जगह-जगह शेयर हुई, किन्तु उन्होंने भारतीय सरकार के सूत्रों से कुछ ऐसी तस्वीरें प्राप्त की, जिसमें दिख रहा है कि कैसे तालिबान ने सिद्दीकी के सिर पर मारा और फिर उनको गोलियों से छलनी कर दिया गया। इन तमाम रिपोर्ट्स के बीच सवाल ये उठ रहा है कि आखिर, तालिबान और भारतीय मीडिया में ऐसा क्या रिश्ता है, जो मीडिया उसे दानिश सिद्दीकी का हत्यारा बताने में कतरा रहा है।  यहां तक कि खुद को निष्पक्ष पत्रकार कहने वाले रविश कुमार भी आतंकी संगठन तालिबान की जगह, बन्दूक की गोली को लानतें भेज रहे हैं।  

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