मंदिर प्रवेश के लिए महिलाओं का मासिक धर्म परीक्षण हो तो पुरुषों का ब्रह्मचार्य टेस्ट भी हो
मंदिर प्रवेश के लिए महिलाओं का मासिक धर्म परीक्षण हो तो पुरुषों का ब्रह्मचार्य टेस्ट भी हो
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सालभर में लगभग 60 दिन खुलने वाला सबरीमाला मंदिर एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है. पिछली बार त्रवंकोर देवस्वं बोर्ड द्वारा श्रद्धालुओं के एक धार्मिक अनुष्ठान में नदी में कपडे फेके जाने की प्रथा पर विवाद हुआ था.

इस बार त्रवंकोरे देवस्वं बोर्ड के सदस्य ने कहा की मंदिर की स्वच्छता और पवित्रता को ध्यान में रखते हुए मंदिर में आने वाली महिलाओ का मासिक धर्म का परिक्षण मशीन से होना चाहिए. जिस दिन ऐसी मशीन बन जाएगी उस दिन महिलाओ को जाँच के बाद प्रवेश करने दिया जाएगा.

सवाल तो यह है कि मशीन से क्या पता लगाने की कोशिश की जा रही है. शरीर का तापमान एक सटीक विकल्प नहीं है. वही हार्मोन परिक्षण महंगा है और शारीरिक परिक्षण तिरस्कार भरा है भले ही इसे महिला करे. बदलते ज़माने में सेनेटरी पैड का नाम किसने नहीं सुना. मंदिर की स्वच्छता को समझ सकते है पर पवित्रता का इससे क्या सम्बन्ध.

साथ ही महिलाओ के परिक्षण का समर्थन करने वाले पुरुषो का मंदिर में घुसने से पहले ब्रह्मचार्य परिक्षण क्यों नहीं करते. मासिक धर्मं में महिलाओ की हाथ जोड़ के प्रार्थना करने और ध्यान पर भी रोक लगनी चाहिए. साथ ही पुरषों पर यहाँ प्रतिबन्ध सालभर रहना चाहिए क्योकि 24 घंटे 365 दिन पुरषों में वीर्य पैदा होते रहता है.

महिलाओ ने सोशल नेटवर्क पर बोर्ड के इस कथन का विरोध किया है. महिलाओ का कहना भी सही है कि मासिक धर्मं एक प्राकृतिक/शारीरिक घटना है. कोई भी महिला स्वेछा से दर्द नहीं झेलना चाहती, साथ ही मासिक धर्मं होना कोई पाप तो नहीं. महिलाओ ने हैप्पी टू ब्लीड नाम से कैम्पेन शुरू किया है. महिलाओ का कहना है कि मासिक धर्मं महिला होने का अधिकार है. वही महिला होने की अनुभूति और पहचान है. 

धार्मिक मान्यताओ और यहाँ विराजित शिव अय्यप्पा से सम्बंधित कहानियो के कारण महिलाओ का आना यह पूरी तरह निषेध है. माना जाता है कि यहाँ विराजित भगवन अय्यापा स्वामी ब्रहमचारी है. इसलिए मंदिर मूल रूप से केवल पुरुषो के लिए है और 12 से 50 साल तक की महिलाए मंदिर में नहीं आ सकती. साथ ही पुरुषो को भी तीर्थ के दौरान ब्रह्मचार्य, मदिरा का त्याग और यहाँ तक की नाख़ून /बाल नहीं काटने जैसे कथित मूल नियमो का पालन करना होता है.

त्रवंकोरे देवस्वं बोर्ड के कथन का सकारात्मक पहलू निकाला जा सकता है कि महिलाओ के लिए प्रतिबंधित मंदिर महिलाओ का मासिक धर्म का परिक्षण मशीन से होने के बाद कम से कम अब हटाया जा सकेगा और महिलाए भी कुछ समय बाद सामान्य रूप से दर्शन कर सके. ऐसा करने का बेहतर विकल्प था की भगवान में आस्था और महिलाओ पर विश्वास के बूते उन्हें अन्दर आने दिया जाए.

‘हिमांशु मुरार’ 

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