दिल्ली: अंटार्कटिका स्थित थ्वेट्स ग्लेशियर पिघल रहा है इस ग्लेशियर के सिकुड़ने की खबर से घबराए विज्ञानियों ने उसके अध्ययन के लिए एक परियोजना की शुरुआत की है. ब्रिटेन के विज्ञान मंत्री सैम गिमाह के मुताबिक इस शोध में पांच साल का वक्त लगेगा. इसमें करीब 100 वैज्ञानिकों की मदद ली जाएगी. इसकी लागत ढाई करोड़ डॉलर के करीब आएगी.
इस शोध में ब्रिटेन और अमेरिका के वैज्ञानिक भाग ले रहे हैं इसके पिघलने से समुद्र का जलस्तर भी तेजी से बढ़ रहा है़, जिससे शंघाई से लेकर सैन फांसिस्को तक डूब जाएंगे. यह 1940 के बाद का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट होगा. उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन से अंटार्कटिका का यह ग्लेशियर तेजी से पिघल रहा है, जिससे समुद्रीय तटीय इलाकों के डूबने का खतरा बढ़ गया है. जिससे शंघाई से लेकर सैन फांसिस्को तक डूब जाएंगे.
दक्षिणी ध्रुव के क्षेत्र का हर साल 10 मीटर वेडल समुद्र की तरफ उत्तर में खिसकने की भी जानकारी हुई है. अंटार्कटिका के पूर्वी हिस्से में स्थित दक्षिण गंगोत्री ग्लेशियर 10 साल में 14 मीटर सिकुड़ गया है. वैज्ञानिकों का कहना है कि हम अध्ययन में पता लगाएंगे कि ग्लेशियर पिघलने का सही कारण क्या है. बता दें कि यह 1940 के बाद का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट होगा.
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