May 03 2017 05:45 PM
मेहनत से उठा हूँ, मेहनत का दर्द जानता हूँ,
आसमाँ से ज्यादा ज़मीं की कद्र जानता हूँ।
लचीला पेड़ था जो झेल गया आँधियाँ,
मैं मग़रूर दरख़्तों का हश्र जानता हूँ।
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