गरीबी और लापरवाही से व्हील चेयर पर टिकी भाविना पटेल की जिंदगी, मजबूत इरादों से जीत ली दुनिया
गरीबी और लापरवाही से व्हील चेयर पर टिकी भाविना पटेल की जिंदगी, मजबूत इरादों से जीत ली दुनिया
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नई दिल्ली: भाविना पटेल ने देश का नाम ऊँचा कर दिया है। जी दरअसल उन्होंने टोक्यो पैरालिंपिक खेल में भारत को पहला पदक दिलवाया है। जी हाँ, भारत की इस टेबल टेनिस खिलाड़ी ने पैरालिंपिक खेलों में वह कारनामा कर दिखाया जो आज तक कोई नहीं कर पाया। गरीबी और लापरवाही के चलते भाविना पटेल व्हील चेयर तक ही सीमित रहीं लेकिन इसके बावजूद उन्होंने अपने इरादों और हिम्मत से ऐसी उड़ान भरी कि आज पूरा देश उनका ही उनका नाम ले रहा है। आपको बता दें कि भाविना क्लास 4 की पैरा एथलीट हैं और इस कैटेगरी के खिलाड़ियों के हाथ पूरी तरह सुरक्षित होते हैं। जी दरअसल उनकी दुर्बलता के चलते रीढ़ की हड्डी के निचले हिस्से में चोट या सेरेबल पाल्सी की वजह से हो सकती है। आपको बता दें कि भाविना को एक साल की उम्र में ही पोलियो हो गया था और इसी वजह से वह व्हील चेयर पर बैठने को मजबूर हो गई।

भाविना पटेल का जन्म छह नवंबर 1986 को गुजरात के वडनगर में हुआ था। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक ठाक नहीं थी। जी दरअसल उनके पिता घर चलाने के लिए एक छोटी सी दुकान चलाते थे और भाविना जब एक साल की हुई तो उनके पिता को पता चला की उनकी बेटी को पोलियो है। भाविना के परिवार ने उन्हें उनके पांव पर खड़ा करने के लिए काफी कुछ किया लेकिन कोई कामयाब न हो सका। भाविना को उनका परिवार विशाखापत्तनम ले गया और यहाँ उनकी सर्जरी कराई गई लेकिन सर्जरी के बाद उनकी अच्छी देखभाल नहीं हुई। जी दरअसल जरूरी एक्सरसाइज और डाइट को लेकर लापरवाही की गई और इसी वजह से वह व्हील चेयर पर बैठने को मजबूर हो गई। भाविना ने 12वीं तक गांव में रहकर ही पढ़ाई की। पहले भाविना शिक्षक बनना चाहती थी लेकिन उन्हें कई जगह उनके शरीर के कारण रिजेक्ट कर दिया गया।

इसी बीच उनके पिता ने अखबार में दृष्टिहीन लोगों के एक एनजीओ के बारे में पढ़ा और अपनी बेटी को वहां भेज दिया। यहाँ भाविना ने कंप्यूटर कोर्स किया और इसी के साथ ही गुजरात यूनिवर्सटी से ग्रेजुएशन भी की। कहा जाता है उसी एनजीओ के कोच ललन दोषी भाविना को खेल की दुनिया में ले आए और बेंगलुरु में अपना पहला नेशनल गोल्ड मेडल जीतने के बाद भाविना ने बहुत ही गंभीरता के साथ टेबल टेनिस खेलना शुरू किया। साल 2010 में भाविना ने दिल्ली में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में हिस्सा लिया लेकिन क्वार्टरफाइनल में बाहर हो गई। वहीँ इसके बाद साल 2011 में उन्होंने पैरा टेबल टेनिस थाईलैंड ओपन जीता।

उसके बाद साल 2013 में उन्होंने एशियन रिजनल चैंपियनशिप जीती। वहीँ उसके बाद भाविना ने 29 अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट हिस्सा लिया जिसमें उन्होंने पांच गोल्ड, 13 सिल्वर और एक ब्रॉन्ज मेडल जीता था। वहीँ भारत की तरफ से पैरालिंपिक इतिहास में टेबल टेनिस के लिए क्वालिफाई करने वाली वह महिला भारतीय महिला खिलाड़ी थीं और आज वह सिल्वर मेडल जीतने वाली देश की पहली टेबल टेनिस खिलाड़ी बन गई हैं।

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