9 सितम्बर 1987 को बिहार को पटना के एक निम्न मध्यवर्गीय परिवार में जन्मे तुलसी बचपन से ही बुद्धिमान थे. जैसा की कहते हैं कि 'पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं.' इसी कहावत के अनुसार 6 साल के तुलसी गणित के लम्बे लम्बे सवाल बिना पेन और पेंसिल के बड़ी आसानी से हल कर लेता थे और इस कारण उन्हें मैथमेटिकल व्हीज़ किड के नाम से लोकप्रिय हो गए थे. 14 फरवरी 1994 को दुनिया को इस अद्भुत दिमाग वाले बालक के बारे में पता चला, जब अख़बारों में उनकी बुद्धिमत्ता के किस्से छपे.
उनकी अद्भुत प्रतिभा को देखते हुए अदालत ने उन्हें कम आयु में ही 10वीं की परीक्षा देने की इज़ाज़त दे दी थी. अपनी बुद्धिमत्ता के बल पर उन्होंने 10 वर्ष ही कम आयु में ग्रेजुएशन कम्पलीट कर लिया. उन्होंने डायरेक्ट बीएससी करने के बाद 12 वर्ष की आयु में एमएससी भी कम्पलीट कर लिया. जिसके बाद उन्होंने नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट भी पास कर ली और इस तरह वे मीडिया में छा गए. लोग उनकी बुद्धिमत्ता से प्रभावित हो, उन्हें तथागत बुद्ध का अवतार मानने लगे, जिसके बाद से ही उन्हें तुलसी की जगह तथागत अवतार तुलसी कहने लगे. इन सबके बाद उन्हें आईआईटी मुंबई में पढ़ाने का मौका मिला, शायद वो दुनिया के सबसे कम उम्र के प्रोफेसर होंगे.
तुलसी के पिता तुलसी नारायण प्रसाद का दावा है कि उनकी तीन संतानों में सबसे छोटी संतान तुलसी के विलक्षण प्रतिभा के बारे में उन्हें पूर्वानुमान था क्योंकि ऐसे बच्चे का जन्म कोई आकस्मिक नहीं बल्कि पूर्व निर्धारित और सुनियोजित था. सुप्रजनन पद्धति का उपयोग करने के लिए माता-पिता को पांच वर्ष तक घोर परिश्रम करना पड़ा जिसमें खान-पान को नियंत्रित करना प्रमुख था. प्रसाद इसकी तुलना फसल उगाने की इस पद्धति से करते हैं, जब कड़ी मेहनत के बाद बंजर जमीन को ऊर्वरा बना कर उसमें बीज रोपण करते हैं फिर जैसे अच्छी फसल के बारे में कोई संदेह नहीं रह जाता ठीक उसी तरह वे पहले से ही तुलसी की विलक्षण बुद्धि के लिए आश्वस्त थे. उनके पिता भी उन्हें महात्मा बुद्ध का अवतार मानते हैं.
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