लावारिसों की तरह पड़ा रहा महान गणितज्ञ वशिष्‍ठ नारायण सिंह का पार्थिव शरीर, प्रशासन की शर्मानाक हरकत
लावारिसों की तरह पड़ा रहा महान गणितज्ञ वशिष्‍ठ नारायण सिंह का पार्थिव शरीर, प्रशासन की शर्मानाक हरकत
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पटना: देश के जाने-माने गणितज्ञ वशिष्‍ठ नारायण सिंह का 74 वर्ष की अवस्‍था में निधन हो गया है। नारायण सिंह बिहार के पटना मेडिकल कॉलेज ऐंड हॉस्पिटल में भर्ती थे। राजधानी पटना के कुल्‍हरिया इलाके में रहने वाले सिंह की गुरुवार को अचानक तबीयत ख़राब होने के बाद हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां डॉक्‍टरों ने उन्‍हें मृत घोषित कर दिया। बताया जा रहा है कि वे स्कित्जोफ्रेनिया से पीड़‍ित थे।स्कित्जोफ्रेनिया एक मानसिक रोग है। वशिष्ठ नारायण सिंह ने महान वैज्ञानिक आंइस्टीन के सापेक्षता के सिद्धांत को चुनौती दी थी।

 वशिष्‍ठ नारायण सिंह कुछ दिन पहले भी बीमार पड़े थे। उन्‍हें देखने के लिए कई नेता और मंत्री भी पहुंचे थे। चर्चित फिल्‍म निर्माता प्रकाश झा ने उनके जीवन पर फिल्‍म बनाने की घोषणा भी की थी। वशिष्‍ठ नारायण सिंह राज्‍य के आरा जिले के बसंतपुर के रहने वाले थे। वह बचपन से बेहद होनहार थे और गणित से उनको हमेशा  लगाव रहा हैं| वे बेहद गरीब परिवार में जन्‍मे थे| सिंह ने छठी कक्षा में नेतरहाट के एक स्कूल में ऐडमिशन लिया। इसके बाद से उन्‍होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। वशिष्‍ठ नारायण सिंह जब‍ पटना साइंस कॉलेज में पढ़ रहे थे कि उसी समय कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के प्रफेसर जॉन कैली की नजर उन पर पड़ी। इसके बाद से वशिष्ठ नारायण 1965 में अमेरिका चले गए और वहीं से 1969 में उन्होंने पीएचडी की।

वशिष्ट नारायण सिंह 1965 से 1974 के बीच अमेरिका में रहे और इस दौरान उन्होंने नासा के लिए काम भी किया। 1974 में विवाह किया लेकिन 1976 में स्कित्जोफ्रेनिया के पहले अटैक के बाद उनकी पत्नी ने उन्हें छोड़ दिया। सिंह आईआईटी कानपुर, टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (मुंबई) और भारतीय सांख्यिकीय संस्थान (कोलकाता) में पढ़ा चुके थे। भारत के स्‍टीफन हॉकिंग कहे जाते हैं वशिष्‍ठ नारायण सिंह । उन्होंने महान वैज्ञानिक आंइस्टीन के सापेक्षता के सिद्धांत को चुनौती दी थी। वे इस बारे में भी  मशहूर है कि नासा में अपोलो की लांचिंग से पहले जब 31 कंप्यूटर कुछ समय के लिए बंद हो गए तो कंप्यूटर ठीक होने पर उनका और सभी कंप्‍यूटरों की गणना एक सामान थी। महान गणितज्ञ वशिष्‍ठ नारायण सिंह के निधन के बाद पटना मेडिकल कॉलेज ऐंड हॉस्पिटल प्रशासन की ओर से घोर लापरवाही सामने आई। देश के स्‍टीफन हॉकिंग कहे जाने वाले सिंह की लाश करीब एक घंटे तक ऐंबुलेंस के इंतजार में अस्‍पताल के बाहर पड़ी रही। इस शर्मनाक घटना के मीडिया में आने के बाद उन्‍हें ऐंबुलेंस मुहैया कराया गया।

 

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