खुलासा : मेरी कॉम के साथ हुआ था यौन शोषण
खुलासा : मेरी कॉम के साथ हुआ था यौन शोषण
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नई दिल्ली : जब भी मुक्केबाजी की बात है तो जहन में मेरी कॉम का नाम आता है. अपने करियर में पांच बार की ‍वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप विजेता, 2012 के लंदन ओलम्पिक मे काँस्य पदक, 2010 के ऐशियाई खेलों में काँस्य और 2014 के एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली मैरी कॉम ने अपने बेटो के नाम लिखी चिट्ठी में चोकाने वाला खुलासा किया है. शुरूआती दिनों में जिस समय मेरी कॉम बॉक्सिंग के लिए संघर्ष कर रही थी तब यह दिग्गज खिलाडी 3 बार यौन शोषण का शिकार हुई थी.

मेरी कॉम ने अपने बेटों के नाम लिखी चिट्ठी में में लिखा कि जब वह 17 साल कि थी उस समय पहली बार यौन शोषण का शिकार हुई . अंग्रेजी मैगजीन में प्रकाशित इस चिट्ठी में मेरी कॉम ने अपने 9 वर्षीय दो बेटों और 3 वर्षीय सबसे छोटे बेटे को सम्बोधित किया है. उन्होंने बेटों से कहा कि वो उनसे बलात्कार और यौन हिंसा के बारे में बात करना चाहती हैं. उन्होंने अपने बेटों से कहा है कि वो महिलाओं का सम्मान करें. उन्होंने अपने साथ हुई एक घटना के बारे में बताते हुए कहा: "मुझे मालूम है कि यह काफी चौंका देने वाली बात इस लिए है क्योंकि यह घटना ऐसी औरत के साथ घटित हुई जो अपने मुक्के की ताक़त के लिए जानी जाती है.

सुबह के 8. 30 बजे मैं रिक्शा में बैठकर अपने ट्रेनिंग कैंप जा रही थी. तभी एक अनजान व्यक्ति ने मुझपर हमला कर दिया. उसने मेरी छाती पर हाथ लगाया. मुझे बहुत ग़ुस्सा आया. मैंने चप्पल हाथ में लेकर उसका पीछा किया. मगर वो भाग निकला. मुझे अफ़सोस है कि उस वक़्त जो कराटे मैंने सीखा था वो भी मेरे काम नहीं आ सका." मेरी कॉम ने अपने बेटों से कहा कि वो उन्हें महिलाओं से किस तरह का व्यवहार करना चाहिए उसके लिए संवेदनशील बनाना चाहती हैं. उन्होंने अपने बेटों को नस्ल-भेद के बारे में भी बताया और कहा कि उनके साथ चलते चलते ऐसा क्षण भी आ सकता है जब कोई उनकी माँ को 'चिंकी' कहकर संबोधित कर रहा हो. उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर भारत की ज्यातर महिलाओं को यह सुनना पड़ता है.

मेरी कॉम अब 33 साल की हो गयी हैं और उन्हें लगता है कि ओलंपिक्स में मेडल जीतने वाली खिलाड़ी के रूप में इज़्ज़त तो मिले ही साथ ही उन्हें एक महिला के रूप में भी सम्मान मिलना चाहिए. वो कहती हैं कि इतना सबकुछ हासिल करने के बावजूद कुछ मर्दों के लिए औरतें सिर्फ एक जिस्म हैं. मेरी कॉम ने लिखा : " याद रखो मेरे बेटों, तुम्हारी तरह हमारी भी दो आँखें हैं. एक नाक है. हमारे जिस्म के हिस्से तुम से कुछ अलग ज़रूर हैं. बस यही सिर्फ इतना सा फ़र्क़ है हमारे तुम्हारे बीच. मर्दों की तरह हम भी सोचने के लिए दिमाग का सहारा लेते हैं. भावनाओं का अहसास करने के लिए दिल का सहारा लेते हैं. हमारी ये नियति नहीं है कि कोई हमारे सीने या नितम्ब पर हाथ लगाए."

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