Feb 26 2016 10:50 AM
नई दिल्ली : देश के कई विश्वविद्दालयों में लगाए जा रहे देश विरोधी नारे से सरहद पर खड़े उन जवानों के सीने में धधक जरुर होती होगी, जो अपने खून-पसीने, चैन-करार, परिवार सब खोकर देश की सेवा करते है। सियाचीन में 35 फीट मोटी बर्फ की परत के नीचे 6 दिनों तक दबे रहने के बाद चमत्कारिक ढंग से जीवित रहे शहीद लांस नायक हनुमंथप्पा की पत्नी ने कहा कि वो देश विरोधी नारों से दुखी है।
उन्होने कहा कि मेरे पास बेटा नहीं है, बेटी है। मैं अपनी बेटी को बेटे की तरह आगे बढ़ाना चाहती हूँ। पति को खोने के बाद भी वो इकलौती बेटी को सेना में भेजने का दम रखती है। कोमा में पहुंच चुके हनमंथप्पा का दिल्ली में सेना के रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल में डॉक्टरों ने इलाज किया।
पूरे देश ने उनके लिए प्रार्थना की, लेकिन वो बच नहीं पाए और 11 फरवरी को उनका निधन हो गया। 3 फरवरी को सियाचीन में हिमस्खलन में सेना के 10 जवान शहीद हो गए।
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