मौत के 18 साल बाद हुई पूजा की शादी!
मौत के 18 साल बाद हुई पूजा की शादी!
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इसे अंधविश्वास कहें या पुरानी परंपरा! यहां नटबाजी समुदाय में मौत के बाद भी बेटे-बेटी की शादी करने का रिवाज है। मंगलवार को मीरपुर-मोहनपुर गांव के रामेश्वर ने अट्ठारह साल पूर्व मरी अपनी बेटी पूजा की शादी हरिद्वार के गाधारोना गांव निवासी तेजपाल के मृत बेटे के साथ हिन्दू रीति-रिवाज से कर दी। उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में आबाद नटबाजी समाज में अब भी पुरानी परंपराओं का दौर चल रहा है, यहां पुरानी परंपराओं में मृत बेटा-बेटी की शादी धूमधाम से किए जाने का रिवाज है।

'दूल्हा-दुल्हन' के प्रतीक के तौर पर 'गुड्डा-गुड्डी' बनाए जाते हैं। इस समुदाय के लोगों का मानना है कि पुरखों की चलाई परंपरा से रिश्तेदारी कायम रहती है और मृत औलादें अविवाहित नहीं रहतीं। सबसे बड़ी बात यह है कि यह समाज बाल-विवाह का विरोधी है, मृत संतानों की शादी भी उनके बालिग होने पर ही की जाती है। मीरपुर-मोहनपुर गांव के बुजुर्ग ग्रामीण सुबन्ना ने बताया कि नटबाजी समाज में मृत बेटा-बेटी की शादी करना पीढ़ियों पुरानी परंपरा है, रामेश्वर इसी परंपरा का निर्वहन कर रहा है। इस बुजुर्ग का कहना है कि बारात मृत कन्या पक्ष के दरवाजे बैंड बाजे के साथ आती है और शादी की सभी रस्में पूरी की जाती हैं, साथ ही अपनी सामथ्र्य के अनुसार दान-दहेज भी वर पक्ष को दिया जाता है।

रामेश्वर नटबाजी ने बताया कि दो साल की उम्र में करीब अट्ठारह साल पहले उसकी बेटी पूजा की असमय मौत हो गई थी, बड़ी मुश्किल में हरिद्वार के गाधारोना गांव में तेजपाल के घर मृत दूल्हे की तलाश कर पाया था। वह बताता है कि शादी में समारोह हिन्दू रीति-रिवाज से संपन्न हो गया है और बेटी की विदाई भी हो गई है। करीब चार दर्जन बाराती बारात लेकर आए थे, जिनकी अच्छे तरीके से आव-भगत की गई है। एक सवाल के जवाब में रामेश्वर बताता है कि यह पीढ़ियों से चली आ रही पुरानी परंपरा है, जिसको हमारा समाज निभा रहा है। वह यह भी कहता है कि बेटी पूजा (मृत) की शादी कर वह उससे 'उऋण' हो गया।

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