काठमांडू : बीते शनिवार को करीब 7.9 तीव्रता के भूकंप के चलते नेपाल समेत भारत के विभिन्न क्षेत्रों में जमकर तबाही मची। तबाही का मंज़र डरा देने वाला था। हर कहीं ताश के पत्तों की तरह ढहे भवनों के मलबे पड़े हुए हैं और इन मलबों में आज भी लोग जिंदगी के निशान तलाश रहे हैं। नेपाल में मौतों का सिलसिला लगातार जारी है और मरने वालों की संख्या अब 4000 के पार पहुंच गई है।
मिली जानकारी के अनुसार भारत और अन्य मित्र राष्ट्रों के सहयोग से आपदा प्रभावित नेपाल में स्थिति को सामान्य बनाने का प्रयास किया जा रहा है। लोगों के जेहन से भूकंप की भयावहता का डर निकालने के भरसक प्रयास किए जा रहे हैं। राहत और बचाव के कार्यों में तेजी लाई जा रही है मगर बारिश और भूकंप के बाद हाल ही के दिनों में आए आफ्टर शाॅक्स से आपदा के काम प्रभावित हो रहे हैं।
मगर आपदा प्रबंधन के कार्य में जुटे भारत के एनडीआरएफ के दल और नेपाल सरकार के दल द्वारा काफी लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया गया है। नेपाल के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर अफरा तफरी की स्थिति बनी हुई है। लोग खुद को बचाने के लिए प्लास्टिक के टेंट का सहारा ले रहे हैं। लोगों को ईंधन और दवाओं की आपूर्ति की जा रही है लेकिन आपदा में फंसे लोगों का प्रतिशत अधिक होने से राहत सामग्री वितरित होने के साथ ही सभी राहत सामग्री लेने के लिए झपट पड़ते हैं।
मलबे में दबे लोगों को निकालने के लिए भारत समेत कुछ देशों से स्निफर डाॅग भेजे गए हैं जो लोगों को सुरक्षित निकालने में सफल हुए हैं। अधिकारियों का कहना है कि भूकंप में मरने वालों की संख्या 4000 पार हो गई है मगर काठमांडू में 1053 लोग और सिंधुपाल चैक में 875 लोगों के मारे जाने की सूचना है। भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में मलबों में कई लोग दबे हुए हैं। जिन्हें निकालने और मलबे के नीचे दबे इन लोगों तक आॅक्सीजन और अन्य आवश्यक सहायता पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है।
दरअसल मलबा इतना अधिक है कि इसे यंत्रों के माध्यम से काटकर लोगों को निकालने और ढूंढने के लिए जगह बनाई जा रही है। मलबे में जो लोग घायल और जीवित हैं कई बार उनकी आवाज़ें तक राहतकर्मियों को सुनाई नहीं दे रही। ऐसे में मलबे में दबे लोगों को शीघ्रता से पर्याप्त मात्रा में प्राणवायु उपलब्ध करवाने के लिए मलबे की कटिंग कर वेंटिलेशन बनाए जा रहे हैं इसके बाद मलबे में लोगों के दबे होने की बात सुनिश्चित की जा रही है।
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