1 अक्टूबर से बदलेंगे कई बड़े नियम
1 अक्टूबर से बदलेंगे कई बड़े नियम
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बैंकिंग तथा फाइनेंशियल सेक्टर से संबंधित कई नियम 1 अक्टूबर से परिवर्तित हो जाएंगे। तीन बैंकों की चेक बुक बदलने के साथ ही क्रेडिट, डेबिट कार्ड के जुड़े नियम भी परिवर्तित होंगे। भारतीय रिजर्व बैंक ने 1 अक्टूबर, 2021 से किसी के बैंक खाते में ऑटो-डेबिट फैसिलिटी के लिए कुछ नए सिक्योरिटी फीचर के उपयोग को अनिवार्य कर दिया है। नए नियमों के अनुसार, जो ऑटो-डेबिट फैसिलिटी का उपयोग करते हैं रेकरिंग बिल अथवा उनके बैंक खाते से समान मासिक किस्तों का भुगतान करने के लिए उन्हें 1 अक्टूबर से कुछ ऑटो-डेबिट ट्रांजेक्शन मैन्युअली करने पड़ सकते हैं। जबकि एक्सिस तथा HDFC जैसे कई बैंकों ने अपने ग्राहकों को आगामी ऑटो-डेबिट ट्रांजेक्शन के फेल होने की संभावना के बारे में पहले ही अलर्ट कर दिया था, कुछ पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर ने अभी तक आरबीआई के नए नियमों का पालन नहीं किया है।

HDFC बैंक ग्राहकों के लिए:-
HDFC बैंक ने अपने पोर्टल पर लिखा कि “ग्राहकों की सुरक्षा के लिए, भारतीय रिजर्व बैंक ने कार्ड से भुगतान करने के लिए नए सुरक्षा उपाय किए हैं। कृपया ध्यान दें: 1 अक्टूबर 2021 से, HDFC बैंक अपने क्रेडिट कार्ड/डेबिट कार्ड पर मर्चेंट पोर्टल/ऐप पर दिए गए किसी भी स्टैंडिंग इंस्ट्रक्शन (रेकरिंग पेमेंट के प्रोसेसिंग के लिए ई-मैंडेट) को तब तक अनुमति नहीं देगा, जब तक कि यह RBI की अनुपालन प्रक्रिया (कम्प्लायंट प्रोसेस) के मुताबिक न हो।”

एक्सिस बैंक ग्राहकों के लिए:- 
एक्सिस बैंक ने कहा, “RBI के रेकरिंग पेमेंट गाइडलाइन w।e।f। 20-09-21, के मुताबिक, रेकरिंग ट्रांजेक्शन के लिए आपके एक्सिस बैंक कार्ड (कार्डों) पर स्टैंडिंग इंस्ट्रक्शन को अनुमति नहीं दी जाएगी। आप अनइंटरप्टेड सर्विस के लिए डायरेक्ट अपने कार्ड का उपयोग करके मर्चेंट को भुगतान कर सकते हैं।”

ई-मैंडेट क्या है?
‘ई-मैंडेट’ को प्रोसेस करने के लिए RBI का नया फ्रेमवर्क, डिजिटल पेमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर RBI तथा नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया द्वारा रेकरिंग ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के लिए 2018 में आरम्भ किया गया, पहले ये मार्च, 2021 से असरदायी होने वाला था। बाद में दिनांक को 1 अक्टूबर, 2021, तक आगे बढ़ा दिया गया था क्योंकि कई स्टेक होल्डर ने निर्धारित करने के लिए और वक़्त की मांग की थी।

ई-मैंडेट मूल तौर पर स्टैंडिंग इंस्ट्रक्शन का एक सेट है जो बैंकों तथा कॉरपोरेट्स को ग्राहकों से वर्चुअली और बगैर मानवीय हस्तक्षेप (ह्यूमन इंटरवेंशन) के पेमेंट कलेक्ट करने की अनुमति देता है। यह बैंकों को आपकी EMI, म्यूचुअल फंड SIP, डिजिटल सब्सक्रिप्शन आदि के लिए ऑटो-डेबिट के निवेदन को प्रोसेस करने में सक्षम बनाता है।

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