Movie Review : मिसिंग में थोड़ा मिस रहा एंटरटेनमेंट
Movie Review : मिसिंग में थोड़ा मिस रहा एंटरटेनमेंट
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फिल्म का नाम: 
मिसिंग 
डायरेक्टर: 
मुकुल अभ्यंकर
स्टार कास्ट: 
मनोज बाजपेयी, तब्बू, अनु कपूर 
अवधि: 
2 घंटा 
सर्टिफिकेट: 
U/A
रेटिंग: 
2.5 स्टार
                      
कहानी 

फिल्म 'मिसिंग' की शुरुआत सुशांत दुबे (मनोज बाजपेयी) और उसकी पत्नी अपर्णा (तब्बू) व 3 साल की बीमार बच्ची तितली से होती है. ये तीनों रात के एक बजे मॉरीशस के एक होटल में चेक इन करते हैं और यहाँ से ही फिल्म का ड्रामा शुरू होता है.  सुबह जब पति-पत्नी की आंख खुलती है, तो पता चलता है कि होटल  के उनके कमरे से तितली गायब है. काफी खोजबीन के बाद वहां के पुलिस अफसर (अन्नू कपूर) को बुलाया जाता है. पुलिस की पड़ताल में इस दंपति के बारे में अजीबो-गरीब बातें सामने आती हैं. सुशांत पुलिस को बताता है कि तितली का कोई अस्तित्व नहीं है और उसकी पत्नी अपर्णा मानसिक बीमारी की शिकार है. उसी मनोदशा के कारण उसने एक काल्पनिक तितली की कहानी गढ़ ली है। इतना ही नहीं जैसे-जैसे पुलिस की तफ्शीश आगे बढ़ती जाती है, कहानी उलझती जाती है और एक पॉइंट ऐसा आता है जब पुलिस को इस पति-पत्नी के आपसी संबंधों पर भी शक होने लगता है. क्या वाकई तितली नाम की कोई बच्ची है ही नहीं? अगर है, तो वह कहां गायब हो गई? इस दंपति के संबंधों और बातों में ऐसा क्या झमेला है, जो पुलिस इन्हें भी शक की निगाह से देखने लगती है? ये तमाम बातें देखने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी.

निर्देशन 

छोटे परदे से बड़े परदे की ओर रुक बदलने वाले निर्देशक मुकुल अभ्यंकर की फिल्म 'मिसिंग' बॉलीवुड में बतौर निर्देशक डेब्यू मूवी है. थ्रिलर फिल्म के लिहाज से उन्होंने अच्छी कोशिश की है, मगर दिक्कत यह है कि फिल्म के शुरू होने के कुछ देर बाद ही दर्शक आगे होनेवाले घटनाक्रम के बारे में जान जाता है. प्रेडिक्टिबल होने के बावजूद निर्देशक ने इसे ग्रिपिंग बनाया है, मगर टुकड़ों में.  ज्यादातर जगहों पर यह फिल्म अपनी पकड़ खो देती है. मुकुल के लेखन-निर्देशन में उथलापन है.सस्पेंस-थ्रिलर में कई जगहों पर हंसी आती है, जो फिल्म के हित में नहीं है. स्क्रीनप्ले बहुत कमजोर है. क्लाइमैक्स तक आते-आते आप फिल्म की परिणति जान जाते हैं और रोमांच खो देते हैं. फिल्म में सुदीप चटर्जी का कैमरावर्क कमाल का है. एडिटिंग और शार्प हो सकती थी. 

अभिनय 

मनोज बाजपेयी का जबरदस्त अभिनय इस फिल्म में देखने मिलता है. अपने किरदार के लिए उनका समर्पण और अपने डरे, सहमे, औरतखोर वाले तमाम भावों को बेहतरीन ढंग से उन्होंने अपने किरदार को जीवंत किया है. परिस्थितियों के बीच फंस जाने के बाद कई जगहों पर उनकी बेचारगी पर हंसी भी खूब आती है. खोई हुई बच्ची की मां की भूमिका को तब्बू ने दिल से निभाया है. पुलिस अफसर के रोल में अन्नू कपूर कुछ पल राहत के जरूर देते हैं. सहयोगी कास्ट ठीक-ठाक है.

संगीत 

संगीतकार एम एम करीम का संगीत थ्रिलर फिल्म के अनुसार सामान्य ही है. 'लोरी' गीत जरूर प्रभावशाली लगा है.

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