रक्षामंत्रालय को था सियाचिन के हिमस्खलन का अनुमान
रक्षामंत्रालय को था सियाचिन के हिमस्खलन का अनुमान
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नई दिल्ली : सियाचिन में 10 जवानों के प्राकृतिक आपदा से शहीद हो जाने को लेकर अब रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने अपनी ओर से कहा है कि रक्षा मंत्रालय सियाचिन ग्लेशियर में हिमस्खलन की संभावना से वाकिफ था। मगर मंत्रालय को यह जानकारी नहीं थी कि यह किस नियत स्थान पर हो सकता है। जिसके कारण इस माह का प्रारंभ होने पर हिमस्खलन में 10 सैनिक शहीद हो गए।

मेक इन इंडिया सप्ताह के समारोह से अलग हटकर रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने यह कहा कि उन्हें सियाचिन ग्लेशियर में हिमस्खलन होने की संभावना लग रही थी मगर इस मामले में उन्हें नियत स्थान की जानकारी नहीं थी। जिसके कारण केजुलिटी को रोका नहीं जा सका। उल्लेखनीय है कि प्राकृतिक आपदाओं को लेकर अनुमान लगाए जा सकते हैं लेकिन वे नियत स्थान पर ही होंगे यह कहना मुश्किल होता है। 

गौरतलब है कि 3 फरवरी को नियंत्रण रेखा के समीप 19 हजार फुट की ऊंचाई पर जूनियर कमीशन अधिकारी समेत 10 सैनिकों को बर्फ के नीचे धंस गए थे । जब वें हिमस्खलन की चपेट में आए तो सभी बर्फ के नीचे दबे हुए थे। सैनिकों को बर्फ, विषम परिस्थितियों और सर्द मौसम का सामना करना था।

न तो उन्हें आॅक्सीजन मिल सकी और न ही सर्दी से निजात। ठंडे वातावरण में शरीर की स्थितियां विपरीत होती चली गईं और जवानों की सांसें थम गईं। इन सभी सैनिकों को मृत घोषित  कर दिया गया। हालांकि लांस नायक हनमनथप्पा कोप्पड़ 6 दिनों के बाद बर्फ के नीचे जीवित मिले। इसके बाद उपचार के दौरान 11 फरवरी को उनकी मौत हो गई।

रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा कि लड़ाई में होने वाले नुकसान और प्रत्येक मामले में निजी तौर पर मासिक आधार पर माॅनिटरिंग की जा रही है। शहीदों के परिजन को लेकर भी मंत्रालय और सेना प्रतिबद्ध है। उन्होंने यह भी कहा कि शहादत अमूल्य होती है। रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने मेक इन इंडिया वीक में भागीदारी की जिसमें उन्होंने सेना को लेकर चर्चा की और सियाचिन के हालात पर अपनी नज़र दौड़ाई। इसी दौरान उन्होंने कहा कि अमेरिका द्वारा पाकिस्तान को दिए जाने वाले एफ - 16 लड़ाकू विमान को लेकर भारत अपनी आपत्ती जाहिर कर चुका है। अमेरिका भारत की आपत्ती को लेकर विचारमग्न है। 

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