दोस्ती की मिसाल : प्रोपर्टी के लालच में बेटे ने बुजुर्ग बाप को पहुचाया पागलखाने तो सच्चे दोस्त ने दिलाया इंसाफ
दोस्ती की मिसाल : प्रोपर्टी के लालच में बेटे ने बुजुर्ग बाप को पहुचाया पागलखाने तो सच्चे दोस्त ने दिलाया इंसाफ
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नई दिल्ली: बड़े बुर्जुर्ग कहते है कि बिना माँ बाप के घर अधूरा, उनके आशीर्वाद पर ही उनके बच्चो का भविष्य निर्भर. लेकिन ये सब बाते उस समय बेमानी लगने लगती है. जब बच्चे चन्द रुपए के लालच में अपने माता पिता को छोड़ देते है. ऐसी ही एक घटना सामने आई है दिल्ली से जहां एक बेटे ने अपने 68 साल के पिता को करोड़ो की प्रोपर्टी के लालच में उन्हें पागलखाने पंहुचा दिया है और फिर जब बुजुर्ग पिता अपने 38 साल पुराने दोस्त के पास पनहा लेने पहुचे तो पुलिस उन्हें वहा से पीटने घसीटते  ले आई. लेकिन जब कड़कड़डूमा कोर्ट  ने के सामने बुजुर्ग पिता ने अपनी आप बीती सुनाई तो फिर उनके दोस्त को कोर्ट ने उन्हें पागलखाने से निकलने के आदेश दिए.

वही जब मीडिया से  बुजुर्ग पिता के दोस्त में बात की तो उन्होंने बताया कि, "उनके पास दिल्ली के कनाॅट प्लेस में 3 ऑफिस, बवाना में प्लाॅट, द्वारका में फ्लैट और ऋषभ विहार में फ्लैट सहित काफी प्रॉपर्टी है","7 दिसंबर को बुजुर्ग पिता बदहवास हालत में मेरे घर पर पहुंचे. उन्होंने बताया कि वह पागलखाने से भाग कर आए हैं. उन्हें मदद चाहिए"साथ ही बुजुर्ग पिता ने बताया  कि " प्रॉपर्टी के लालच में मेरे  बेटे और साले ने डाॅक्टर के साथ मिलकर मुझे  पागल साबित करवा दिया और पागलखाने भेज दिया. फिर कहा मेरा मानिसक संतुलन ठीक है. ,"मेने  5 दिन रहकर देखा है वहां की जिंदगी नर्क है. फिर उनके दोस्त कहते है कि, इसी बीच, जीटीबी एन्क्लेव थाने से फोन आया. पुलिस ने पूछा कि क्या बुजुर्ग तम्हारे पास हैं. मैंने हां कह दिया."        
     
दोस्त ने कहां कि "पुलिस का फोन आने के बाद एक कांस्टेबल और निर्दयी  बेटा मेरे घर पहुंचे. बुजुर्ग को पीटते हुए ले गए और फिर पागलखाने में भर्ती करा दिया. इस पर मुझे बेहद गुस्सा आया." और "तय किया कि बुगुर्ज दोस्त को बाहर निकालकर ही दम लूंगा. अगले दिन मेने  डीसीपी से मिला.उनसे जांच के लिए कहा, लेकिन कोई मदद नहीं मिली फिर कोर्ट में याचिका दायर की. कोर्ट से कहा कि दोस्त को मैं साथ रखूंगा. वह पूरी तरह ठीक है. परिवार के लोग प्रॉपर्टी के लालच में उन पर अत्याचार कर रहे हैं. मैं नहीं चाहता कि अच्छे-बुरे वक्त के साथी पागलखाने में दम तोड़ें. कोर्ट ने मेरी गुहार सुनी और 16 दिसंबर को अशोक को पागलखाने से निकालने के आदेश दिए"

अब बेटा पिता को साथ रखने कि बात कर रहा है,वही बुजुर्ग  पिता के वकील ने बताया कि उनके परिवार वालों ने कोर्ट के सामने इस मामले का निपटारा करने और उन्हें घर ले जाने की अपील की है. दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने डीसीपी और जीटीबी एन्कलेव के एसएचओ को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. कोर्ट ने मध्यस्थता केंद्र के जरिए मामला निपटाने को कहा तब तक वह बुगुर्ज  पिता के साथ रहेंगे. मामले की अगली सुनवाई 11 जनवरी को होगी

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