कुपोषण ने बनाया मध्यप्रदेश को पिछड़ा
कुपोषण ने बनाया मध्यप्रदेश को पिछड़ा
Share:

कुपोषण हमारे देश में एक गंभीर समस्या के रुप में सामने आ रहा है इसमें भी मध्यप्रदेश में स्थिति बहुत ही गंभीर बनी हुई है। अब  मध्यप्रदेश सरकार के लिए एक अप्रिय स्थिति सामने आई है। रजिस्टार जनरल ऑफ इंडिया के सैम्पल रजिस्ट्रेशन सर्वे की एक रिपोर्ट के अनुसार शिशु मृत्युदर में मध्यप्रदेश पहले स्थान पर है, जबकि 28 दिन के भीतर बच्चों की मौत और पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मौत के मामले में प्रदेश दूसरे स्थान पर है।

ओडिशा और असम जैसे राज्यों से भी खराब स्थिति मध्यप्रदेश की है। यह रिपोर्ट 2014 के सर्वे के आधार पर जारी हुई है। इस रिपोर्ट के अनुसार सबसे बेहतर स्थिति में केरल है। यहां शिशु मृत्यु दर 12 फीसदी है। खाद्य सुरक्षा पर सुप्रीम कोर्ट के राज्य सलाहकार सचिन जैन के मुताबिक मप्र शिशु मृत्यु दर में लगभग एक दशक से ज्यादा समय से पहले स्थान पर है।

विभाग ने जून में आठ राज्यों की शिशु मृत्यु दर की रिपोर्ट जारी की थी, मंगलवार को पूरे देशभर की विस्तृत रिपोर्ट जारी हुई है। रिपोर्ट को लेकर स्वास्थ्य मंत्री रुसतम सिंह और संबंधित विभाग के किसी भी अधिकारी द्वार कोई जवाब नहीं जारी किया गया ।

प्रदेश दूसरा स्थान- नवजात और पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मौत में 
-नवजात (28 दिन के भीतर) और पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मौत के मामले में भी प्रदेश दूसरे नंबर पर है। एक हजार बच्चों में से 35 नवजात बच्चों की मौत हो जाती है। इसमें 22 शहरी अंचल और 39 ग्रामीण में है। ओडिशा 36 के साथ नंबर-1 है। वहीं मप्र में पांच साल से कम उम्र के 65 बच्चों की मौत हो जाती है। इसमें 60 बालक और 70 बालिकाएं हैं। पहले नंबर पर असम (66) है।

रिपोर्ट के अनुसार  नवजात मृत्यु दर, शिशु मृत्यु दर और लिंगानुपात की प्रदेश में स्थिति गंभीर है। इस स्थिति को सुधारने के लिए सरकार को कड़े कदम उठाने की जरुरत है।                                                                                                            - माइकल जुमा, मप्र चीफ, यूनीसेफ

लिंगानुपात में भी पहले नंबर पर

भारत सरकार द्वारा वार्षिक स्वास्थ्य रिपोर्ट 2012-13 भी जारी किया गया। इसमें भी मध्यप्रदेश में लिंगानुपात की स्थिति देशभर में सबसे खराब है। यहां प्रति 1000 पुरुष पर 920 महिलाएं हैं। गंभीर बात ये भी है कि प्रति 1000 बालक शिशु पर 908 बालिका शिशु ही जन्म ले रहे हैं। लिंगानुपात में सबसे खराब स्थिति में मध्यप्रदेश  के शहर ग्वालियर है। यहां प्रति 1000 बालक की तुलना में 804 बालिकाएं ही जन्म ले पा रही हैं।

स्वास्थ्य विभाग का बजट ( रू में )

  • 2011-12-- 2 हजार 639 करोड़
  • 2015-16-- 4 हजार 740 करोड़
  • 2016-17-- 5 हजार 643 करोड़

(स्वास्थ्य विभाग के बजट में नेशनल हेल्थ मिशन का बजट शामिल नहीं है।)

रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
Most Popular
मध्य प्रदेश जनसम्पर्क न्यूज़ फीड  

हिंदी न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_News.xml  

इंग्लिश न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_EngNews.xml

फोटो -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_Photo.xml

- Sponsored Advert -