मुंबईः एनआईए ने स्पेशल कोर्ट से 2008 मालेगांव बम धमाके मामले की सुनवाई बंद कमरे में करवाने की मांग करते हुए एक याचिका दायर की है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी का दावा है कि कोर्ट की कार्यवाही के अनावश्यक प्रचार से सांप्रदायिक सौहार्द को हानि हो सकता है। जांच एजेंसी ने बृहस्पतिवार को स्पेशल जज वीएस पदलकर की कोर्ट में याचिका दायर की।
एनआईए ने याचिका में कहा है कि आरोपियों पर मुस्लिम जिहादी गतिविधियों का बदला लेने और दो समुदायों के बीच वैमनस्य पैदा करने के लिए यह अपराध करने का आरोप है। मालेगांव को सिर्फ इसलिए चुना गया क्योंकि यह मुस्लिम आबादी वाला इलाका है। एनआईए ने कहा कि मामले में आरोपी लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित की याचिका पर सुनवाई के दौरान बांबे हाईकोर्ट ने पूछा था कि क्या जांच एजेंसी ने स्पेशल कोर्ट से सुरक्षा और गवाहों के संरक्षण के मद्देनजर बंद कमरे में सुनवाई के लिए कहा था।
पुरोहित ने गवाहों के बयानों की पूर्ण प्रति की मांग की थी। उसने कहा कि यह मामला सांप्रदायिक सौहार्द, राष्ट्रीय सुरक्षा और लोक व्यवस्था से जुड़ा है और संवेदनशील है। ऐसे में अनावश्यक प्रचार से बचने की आवश्यकता है। इससे सांप्रदायिक सौहार्द को हानि हो सकता है, जो मुकदमे की निष्पक्षता को प्रभावित कर सकता है।राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने शुक्रवार को बांबे हाईकोर्ट से कहाकि वह मालेगांव विस्फोट मामले में अभियोजन के 38 ‘संवेदनशील’ गवाहों के लिए पुलिस सुरक्षा चाहती है। एनआईए ने बताया कि इसके लिए वह एक लोअर कोर्ट में याचिका दाखिल करेगी।
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