कोलकाता। पश्चिम बंगाल के मालदा में भड़की हिंसा के बाद बंगाल सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट सौंपी। इसमें सरकार ने दावा किया है कि मालदा में हुई हिंसा पूर्व नियोजित थी। विरोध प्रदर्शन की योजना पहले से ही बनाई गई थी, लेकिन यह कोई सांप्रदायिक हमला नहीं था। राज्य सरकार का कहना है कि प्रस्तावित रैली की योजना पहले से तैयार थी, लेकिन इस दौरान हुई हिंसा पहले से बनाई गई साजिश का हिस्सा नहीं थी।
इस विरोध का कारण हिंदु महासभा के नेता कमलेश तिवारी द्वारा कथित तौर पर पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ की गई अपमानजनक टिप्पणी है। 3 जनवरी को इदारा-ए-शरिया ने द्वारा आयोजित इस विरोध प्रदर्शन में लगभग 7 मुस्लिम संगठन और 10 स्थानीय मुस्लिम युवा क्लब शामिल हुए। विरोध प्रदर्शन के लिए जमा हुई भीड़ एकाएक हिंसक हो गई।
इसके बाद दंगे भड़क गए। भीड़ ने स्थानीय पुलिस थाने में घुसकर तोड़फोड़ मचाई और थाने को जलाकर फूंक डाला। राज्य सरकार की रिपोर्ट में कहा गया है कि यह घटना एक साथ फुटे जनता के गुस्से का परिणाम था। बंगाल में इस साल चुनाव होने है और कहा जा रहा है कि बीजेपी इसे चुनावी मुद्दा बनाना चाहती है, जबकि राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार ने इस क्षेत्र में किसी भी राजनीतिक गतिविधि पर रोक लगा दी है।