मिट्रियोलॉजी (मौसम विज्ञान) वातावरण की विभिन्न प्रक्रियाओं और मौसम के पूर्वानुमानों से संबंधित अध्ययन है। इसमें तापमान में बदलाव, हवा की दिशा व दबाव, वातावरण में नमी आदि का आंकलन कर मौसम की भविष्यवाणी की जाती है। इस कोर्स में थर्मामीटर, एनीमोमीटर, सेटेलाइट व एडवांस कम्प्यूटर की मदद से डाटा इकट्ठा करना सिखाया जाता है। साथ ही मौसम, जलवायु और धरती की सतह से संबंधित पढ़ाई होती है।
रोजगार के मौके: इस क्षेत्र के प्रोफेशनल्स इसरो, इंडियन एयर फोर्स, स्पेस एप्लीकेशन सेंटर, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मिट्रियोलॉजी, नेशनल रिमोट सेंसिंग एजेंसी, इंडियन मिट्रियोलॉजिकल डिपार्टमेंट, डिफेंस रिसर्च एंड डवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन आदि संस्थानों में नौकरी कर सकते हैं। विदेश में भी मिट्रियोलॉजी की मांग बढ़ रही है।
योग्यता: अंडर ग्रेजुएट कोर्स करने के लिए 12वीं में फिजिक्स, केमिस्ट्री व बायोलॉजी विषय होना जरूरी है। स्नातकोत्तर व पीजी डिप्लोमा कोर्स के लिए बीएससी की डिग्री अनिवार्य है।
कोर्स: मौसम विज्ञान में डिप्लोमा कोर्स के साथ बीटेक, बीएससी, एमएससी, एमटेक व पीएचडी की जा सकती है।
अध्ययन क्षेत्र: क्लाइमिट्रियोलॉजी, एयरोलॉजी, एविएशन, मरीन, सिनॉप्टिक व डायनेमिक मिट्रियोलॉजी जैसी कई विशिष्ट शाखाओं में मौसम विज्ञान को बांटा गया है।
यहां होती है पढ़ाई: इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मिट्रियोलॉजी, पुणे इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बेंगलुरू प्रादेशिक मौसम विज्ञान केद्र, मुंबई आईआईटी (नई दिल्ली, खड़गपुर) कोचीन साइंस एंड टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी, केरल