धनतेरस के दिन बनाये गुड़ और धनिये का प्रसाद
धनतेरस के दिन बनाये गुड़ और धनिये का प्रसाद
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धन तेरस का दिन बहुत शुभ माना जाता है. इस दिन देवी लक्ष्मी समुद्र मंथन से प्रकट हुई थी. अतः इस दिन लक्ष्मी पूजा और कुबेर पूजा शुभ मानी जाती है. धन तेरस के दिन भजन आदि गाए जाते है. माँ लक्ष्मी को नैवेद्य के रूप में मिठाई का भोग अर्पित किया जाता है. महाराष्ट्र में इस दिन गुड़ और कुटे हुए धनिये को मिलाकर प्रसाद बनाकर भोग लगाया जाता है. गांवों में पशुओं की पूजा की जाती है जो कि लक्ष्मी का स्रोत होते है. 

धन तेरस से दीपावली का पावन त्यौहार शुरू होता है.  कार्तिक महीने में कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी या तेरस के दिन धन तेरस मनाई जाती है. दीपावली का त्यौहार पॉँच दिन चलता है जिसमे धन तेरस के बाद रूप चौदस ,  दिवाली -लक्ष्मी पूजन , अन्न कूट और अंत में भाई दूज मनाई जाती है.

इस दिन शाम को मिट्टी के दीपक में नई रुई की बत्ती लगाकर तिल का तेल भरकर जलाते है. इस दिन व्रत रखा जाता है. यमराज को प्रसन्न करने के लिए उनकी पूजा रोली , मौली , अक्षत , पुष्प आदि से करते है और गुड़, मिठाई आदि का भोग लगाते है. दक्षिण दिशा की तरफ मुंह करके इस श्लोक का उच्चारण करते हुए दीपदान किया जाता है —

मृत्युना पाशदंडाभ्याम  कालेन श्यामया सह , त्रयोदश्याम दीपदानात सुर्यजः प्रीयताम मम.

गलती से भी ना दे ये चीजे किसी को उपहार में

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