सदा आरोग्य रहने के लिए मकर संक्रांति के दिन जरूर पढ़े 'सूर्यकवच'
सदा आरोग्य रहने के लिए मकर संक्रांति के दिन जरूर पढ़े 'सूर्यकवच'
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आप सभी को बता दें कि मकर संक्रांति का त्यौहार सभी के लिए बहुत ख़ास होता है. ऐसे में यह त्यौहार इस साल यानी 2019 में 15 जनवरी को मनाया जाने वाला है. आप सभी को बता दें यह त्यौहार सूर्य भगवान को खुश करने और उनसे वरदान मांगने के लिए मनाया जाता है. आप सभी अगर खुद को अपने परिवार वालों को सुरक्षित करना चाहिए हैं तो आप सूर्य कवच पढ़ सकते हैं. जी हाँ, यह शरीर को आरोग्य देने वाला है तथा संपूर्ण दिव्य सौभाग्य को देने वाला होता है और इसे मकर संक्रांति के दिन पढ़ने का एक अलग ही महत्व होता है. जी हाँ, सूर्य रक्षात्मक स्तोत्र को भोजपत्र में लिखकर जो हाथ में धारण करता है तो संपूर्ण सिद्धियां उसके वश में होती हैं....विशेषकर मकर संक्रांति पर इस कवच के पाठ से 7 पीढ़ियों की रक्षा होती है, ऐसा पुराणों में लिखा है... आइए जानते हैं सूर्यकवच.

याज्ञवल्क्य उवाच-

श्रणुष्व मुनिशार्दूल सूर्यस्य कवचं शुभम्
शरीरारोग्दं दिव्यं सव सौभाग्य दायकम्

याज्ञवल्क्यजी बोले- हे मुनि श्रेष्ठ! सूर्य के शुभ कवच को सुनो, जो शरीर को आरोग्य देने वाला है तथा संपूर्ण दिव्य सौभाग्य को देने वाला है.


देदीप्यमान मुकुटं स्फुरन्मकर कुण्डलम
ध्यात्वा सहस्त्रं किरणं स्तोत्र मेततु दीरयेत् 

चमकते हुए मुकुट वाले डोलते हुए मकराकृत कुंडल वाले हजार किरण (सूर्य) को ध्यान करके यह स्तोत्र प्रारंभ करें.


शिरों में भास्कर: पातु ललाट मेडमित दुति:
नेत्रे दिनमणि: पातु श्रवणे वासरेश्वर

मेरे सिर की रक्षा भास्कर करें, अपरिमित कांति वाले ललाट की रक्षा करें. नेत्र (आंखों) की रक्षा दिनमणि करें तथा कान की रक्षा दिन के ईश्वर करें.


ध्राणं धर्मं धृणि: पातु वदनं वेद वाहन:
जिव्हां में मानद: पातु कण्ठं में सुर वन्दित:

मेरी नाक की रक्षा धर्मघृणि, मुख की रक्षा देववंदित, जिव्हा की रक्षा मानद् तथा कंठ की रक्षा देव वंदित करें.

सूर्य रक्षात्मकं स्तोत्रं लिखित्वा भूर्ज पत्रके
दधाति य: करे तस्य वशगा: सर्व सिद्धय: 

सूर्य रक्षात्मक इस स्तोत्र को भोजपत्र में लिखकर जो हाथ में धारण करता है तो संपूर्ण सिद्धियां उसके वश में होती हैं.


सुस्नातो यो जपेत् सम्यग्योधिते स्वस्थ: मानस:
सरोग मुक्तो दीर्घायु सुखं पुष्टिं च विदंति 

स्नान करके जो कोई स्वच्छ चित्त से कवच पाठ करता है वह रोग से मुक्त हो जाता है, दीर्घायु होता है, सुख तथा यश प्राप्त होता है.

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