आप सभी जानते ही हैं कि आज महावीर जयंती है. जी हाँ, जैन धर्म के अनुयायिओं द्वारा चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को जैन धर्म के 24 वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी के नाम के उपलक्ष में महावीर जयंती मनाई जाती हैं। कहते हैं अहिंसा, सत्य और अनेकांत अस्तेय भगवान महावीर के सिद्धांत हैं और भगवान महावीर ने लोगों को ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह के जरिए जागृत करने की भी सीख दी। ऐसे में आज हम आपके लिए लेकर आए हैं भगवान महावीर स्वामी की आरती, जो पूजन के दौरान अगर आप करें तो आपका बेड़ा पार लग सकता है. आइए जानते हैं भगवान महावीर स्वामी की आरती.
भगवान महावीर स्वामी की आरती -
आरती महावीर स्वामी की
जय महावीर प्रभो, स्वामी जय महावीर प्रभो।
कुंडलपुर अवतारी, त्रिशलानंद विभो॥ ॥ ॐ जय.....॥
सिद्धारथ घर जन्मे, वैभव था भारी, स्वामी वैभव था भारी। बाल ब्रह्मचारी व्रत पाल्यौ तपधारी ॥ ॐ जय.....॥
आतम ज्ञान विरागी, सम दृष्टि धारी।
माया मोह विनाशक, ज्ञान ज्योति जारी ॥ ॐ जय.....॥
जग में पाठ अहिंसा, आपहि विस्तार्यो।
हिंसा पाप मिटाकर, सुधर्म परिचार्यो ॥ ॐ जय.....॥
इह विधि चांदनपुर में अतिशय दरशायौ।
ग्वाल मनोरथ पूर्यो दूध गाय पायौ ॥ ॐ जय.....॥
प्राणदान मन्त्री को तुमने प्रभु दीना।
मन्दिर तीन शिखर का, निर्मित है कीना ॥ ॐ जय.....॥
जयपुर नृप भी तेरे, अतिशय के सेवी।
एक ग्राम तिन दीनों, सेवा हित यह भी ॥ ॐ जय.....॥
जो कोई तेरे दर पर, इच्छा कर आवै।
होय मनोरथ पूरण, संकट मिट जावै ॥ ॐ जय.....॥
निशि दिन प्रभु मंदिर में, जगमग ज्योति जरै।
हरि प्रसाद चरणों में, आनंद मोद भरै ॥ ॐ जय.....॥
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