केवल महिलाओं से ही नहीं बल्कि पुरुषों से भी था महात्मा गांधी का शारीरिक संबंध, जेल में भी बनाए थे इस शख्स संग रिलेशन
केवल महिलाओं से ही नहीं बल्कि पुरुषों से भी था महात्मा गांधी का शारीरिक संबंध, जेल में भी बनाए थे इस शख्स संग रिलेशन
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मोहनदास करमचंद गांधी, जिन्हें 1920 में किसी और ने नहीं बल्कि रवींद्रनाथ ठाकुर ने महात्मा का दर्जा दे दिया था, को दूसरी बार 1908 में अपराधी करार तक दे डाला। उनका अपराध यह था कि उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में आत्मसम्मान की मांग की थी। पीएम लुइ बोथा ने गांधी को दो माह तक जेल भेजने के राजनैतिक निर्णय को जायज ठहराते हुए कहा था कि इंडियन ''दुराग्रह'' को रोकने का यही एकमात्र तरीका है।

महात्मा गांधी ने 16 अगस्त को जोहानिसबर्ग के पास फोर्ड्‌सबर्ग की हमीदिया मस्जिद में कोई 3,000 लोगों के समूह को नए आव्रजन कानूनों के खिलाफ अपने आवासीय परमिट जलाने के लिए प्रेरित कर दिया। अक्टूबर माह  में उन्होंने वर्जित क्षेत्र ट्रांसवाल में शांतिपूर्ण जुलूस का नेतृत्व किया और उन्हें हिरासत में ले लिया है। इस बेहद  सफल वकील, और समुदाय के नेता को फोर्ट में 'नेटिवोंकी कोठरी' में डाले जाने से पहले कैदी के कपड़े पहना कर गलियों में भी घुमाया गया। संयोगवश कुछ सालों के उपरांत उसी जेल में नेल्सन मंडेला को भी कैद किया गया था। जेल में पहली रात एक अश्वेत और फिर एक चीनी कैदी ने गांधी के साथ दुष्कर्म करने की धमकी भी दी। बाद में वे दोनों ''बिस्तर पर सोए एक नेटिव'' के पास गए और आपस में अश्लील चुटकुले सुने सुनाए और एकदूसरे के गुप्तांग खोल दिए। गांधी रात भर दहशत की वजह से जगे रहे।

एक प्रतिष्ठित गुजराती परिवार से ताल्लुक रखने वाले मोढ बनिया, गांधी ने इंग्लैंड में कानून की डिग्री अपने नाम कर ली लेकिन इंडिया में उन्हें कोई मुकदमा लड़ने के लिए नहीं मिला तो वे 1893 में दुनिया को बदलने के लिए नहीं बल्कि विश्व के द्वारा खुद बदले जाने के लिए दक्षिण अफ्रीका आए।एक संपन्न गुजराती मुस्लिम व्यापारी दावद मोहम्मद ने उन्हें वहां बुला लिया गया। उन्होंने अपने एक साथी मुस्लिम व्यवसायी के विरुद्ध मुकदमा कर रखा था जिसे एक अंग्रेज वकील लड़ रहा था। मोहम्मद चाहते थे कि गांधी उनके इस मुख्य वकील और उनके बीच अनुवाद का मामूली कार्य को पूरा करें। बता दें कि 23मई  1893 को डरबन अदालत में अपने पहले ही दिन गांधी ने पर्याप्त संकेत दे दिया कि वे मामूली विवादों में महज सलाहकार बनकर नहीं रहने वाले थे। उन्होंने अपनी पगड़ी उतारने से मना किया और जब मजिस्ट्रेट ने उन्हें बाहर निकल जाने को कहा तो वे गुस्से के साथ दन से निकल गए।

इतना ही नहीं हम सभी को तो यह मालूम नहीं कि इस पर मोहम्मद की क्या प्रतिक्रिया थी, लेकिन स्थानीय अखबार द नटाल एडवर्टाइजर ने आफत आने की खबर सुनाई दी थी। चार दिन बाद उसने गांधी का एक पत्र प्रकाशित किया इसमें उन्होंने अखबार और श्वेत समुदाय को कहा था कि एक भारतीय की नजर में पगड़ी पहनना अपमान नहीं बल्कि सम्मान जताने का प्रतीक रहा। दो हफ्ते के उपरांत गांधी को पीटरमारिट्‌जबर्ग में ट्रेन के फर्स्ट क्लास कंपार्टमेंट से बाहर धकेल दिया गया। और एक क्रांति का बीज पड़ गया। एक महीने के भीतर गांधी ने दमनकारी शक्ति के मुकाबले उस फौलादी इरादे और लिखित शब्द के प्रति उस रुझान का प्रदर्शन कर दिया जिसने दुनिया को नाटकीय ढंग से बदल डाला, भले ही 1948 में उन्हीं लोगों ने उनका क़त्ल कर दिया जिनको उन्होंने आजाद कराया था।

20वीं सदी के पहले दशक के आखिर तक विचारक गांधी को संघर्ष और बौद्धिक स्वतंत्रता की खुराक ने मजबूती भी दी। शहर के उच्चवर्गीय इलाके में उनके विशाल घर से उनकी वित्तीय कामयाबी उजागर  हो जाती है, लेकिन वे इस तरह की मामूली सुख सुविधाओं से आगे उन नाटकीय प्रयोगों की ओर बढ़ चुके थे जिन्होंने उन्हें अपने समुदाय का एक विशिष्ट नेता बना दिया और फिर वे उन लोगों के नेता बन गए जो लोगों, नस्लों और राष्ट्रों के बीच समानता के आदर्श से प्रेरित थे।

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