सिर्फ 5 दिन की नौकरी के बाद ही योग को अपनाया लिया था महर्षि महेश योगी ने
सिर्फ 5 दिन की नौकरी के बाद ही योग को अपनाया लिया था महर्षि महेश योगी ने
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महर्षि विद्या मंदिर में महर्षि महेश योगी का जन्मदिन ज्ञान योग दिवस के रुप में मनाया जाता है. इनका जन्म 12 जनवरी 1918 को हुआ था. अपने जीवन काल बहुत सी विद्या हासिल की. महर्षि विद्या मंदिर परिवार के सदस्यों ने बहुत ही श्रद्धा व आस्था पूर्वक भाग लिया. कार्यक्रम आरंभ वैदिक परंपरा अनुसार गुरु पूजन से किया गया. इसके बाद उन्होंने विद्या की देवी सरस्वती का वर्ग आशीष पाने के लिए सरस्वती वंदना की गई. इतना ही नहीं विद्यार्थियों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए.

भावातीत ध्यान के प्रणेता महर्षि महेश योगी के बचपन की यादें जबलपुर की फिजां में घुली हुई हैं. विदेश जाने के बाद भी जबलपुर से उनका आत्मीय लगाव रहा. भेड़ाघाट की संगमरमरी वादी का आकर्षण तो उन्हें इतना पसंद था कि जबलपुर आगमन पर उन्होंने रात 1 बजे भेड़ाघाट जाकर नौकायन किया था. वे हमेशा कहते थे कि नर्मदा का तट तपोस्थली है. इसके किनारे पर वो जादू है, जो अन्यत्र देखने नहीं मिला. आज 12 जनवरी को शहर उनकी 101 वीं जयंती मना रहा है.
 
इसके अलावा दुनिया को भावातीत ध्यान की सौगात देने वाले महर्षि महेश योगी का बचपन संस्कारधानी में बीता. शिक्षा-दीक्षा तो यहां हुई ही थी उन्होंने जीसीएफ में पांच-दस दिन नौकरी भी की थी. एक स्वामी ब्रह्मानंद के संपर्क में आने के बाद महर्षि ने परिवार का मोह त्याग दिया और 1940 को वे शहर से चले गए. आज दुनिया के 211 देशों ने उनके भावातीत योग को अपनाया है. 

महेश योगी ने भेड़ाघाट जाने की इच्छा भी जताई थी. उन्होंने रात के 1 बजे कहा था कि उन्हें इसी वक्त नौकायान करने का मन है. आनन फानन में रात में ही उनके लिए नौकायान की व्यवस्था करवाई गई. वे ब्रम्ह मुर्हूत आने तक वादियों की तरफ देखते और उसके आकर्षण में खोए रहे. कई जगह विद्या ज्ञान देने के बाद साल 2008 में निधन हो गया.  

 

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