कोल्हापुर में गिरा था माता सती का त्रिनेत्र, कौलासुर का वध करके 'कोलासुरा मर्दिनी' कहलाईं थी माता
कोल्हापुर में गिरा था माता सती का त्रिनेत्र, कौलासुर का वध करके 'कोलासुरा मर्दिनी' कहलाईं थी माता
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कोल्हापुर: महाराष्ट्र के कोल्‍हापुर जिले स्थित श्री महालक्ष्मी मंदिर माता के 52 शक्ति पीठों में से एक है।  इस मंदिर का निर्माण सातवीं शताब्‍दी में चालुक्य वंश के राजा कर्णदेव द्वारा करवाया गया था। यहाँ माता सती का 'त्रिनेत्र' गिरा था। यहाँ की शक्ति महिषासुरमर्दनी और भैरव क्रोधशिश हैं। यहाँ महालक्ष्मी का निज निवास माना जाता है।

'करवीर क्षेत्र माहात्म्य' तथा 'लक्ष्मी विजय' के अनुसार कौलासुर नामक दानव को वर प्राप्त था कि वह स्त्री द्वारा ही मारा जा सकेगा, अतः भगवान विष्णु स्वयं महालक्ष्मी रूप में प्रकटे और सिंहारूढ़ होकर करवीर में ही उसको युद्ध में परास्त कर संहार किया। मृत्यु से पहले दैत्य ने देवी से वर याचना करते हुए कहा कि इस क्षेत्र को उसका नाम मिले। देवी ने वरदान दे दिया और वहीं स्वयं भी स्थित हो गईं, तब इसे 'करवीर क्षेत्र' कहा जाने लगा, जो बदलते समय में 'कोल्हापुर' हो गया। वहीं माता को कोलासुरा मर्दिनी कहा जाने लगा। पद्म पुराण के अनुसार यह क्षेत्र 108 कल्प प्राचीन है एवं इसे महामातृका कहा गया है, क्योंकि यह आद्याशक्ति का मुख्य पीठस्थान है।

बताया जाता है कि इस मंदिर में स्‍थापित माता लक्ष्मी की प्रतिमा लगभग 7,000 साल प्राचीन है। मंदिर के अन्दर नवग्रहों समेत, भगवान सूर्य, महिषासुर मर्दिनी, विट्टल रखमाई, शिवजी, विष्णु, तुलजा भवानी आदि अनेक देवी देवताओं के भी पूजा स्थल स्थित हैं। इन देवी देवताओं की मूर्तियों में से कुछ तो 11वीं सदी की भी बताई जाती हैं। 

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