महाराष्ट्र सरकार ने किया अंगदान से जुड़े कानून में बदलाव
महाराष्ट्र सरकार ने किया अंगदान से जुड़े कानून में बदलाव
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मुंबई ​: महाराष्ट्र सरकार द्वारा अंगदान से जुड़े कानून में कुछ बदलाव कर दिया गया है। इस दौरान अंगदान करने वालों की सूची में दादा - दादी और पोते - पोतियों तक को शामिल कर दिया गया है। महाराष्ट्र सरकार द्वारा विदेशियों और भारत में आॅर्गन ट्रांसप्लांट करवाने पर भी रोक लगा दी गई है। मानसिकतौर पर बीमार लोगों के अंगदान पर राज्य सरकार ने रोक लगा दी है। महाराष्ट्र के शिक्षा, स्वास्थ्य और कानून मंत्री विनोद तावड़े द्वारा संशोधन की घोषणा की गई।

तावड़े द्वारा कहा गया कि भारतीय नागरिकों द्वारा दान किए गए अंगाों को विदेशियों के शरीर में प्रत्यर्पित नहीं किया जा सकेगा। तावड़े द्वारा यह कहा गया कि चिकित्सकों के अतिरिक्त प्रशिक्षित पैरामेडिकल स्टाफ नेत्रदान करने वालों के शरीर से नेत्र निकाल सकते हैं। इसके अतिरिक्त अंगों के प्रत्यारोपण की कार्रवाई की निगरानी करने हेतु समिति का गठन किया जा सकेगा।

समिति के सदस्यों को न्यायिक शक्तियां दी जाऐंगी। वर्ष 1994 में केंद्र सरकार की ओर से मानव अंग प्रत्यर्पण कानून को राज्यों में लागू किया गया था। इसमें कुछ समस्याऐं आने के बाद केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2011 में संशोधन किया गया था। राज्य सरकार द्वारा इस तरह के बदलावों को अमल में लाने हेतु कानून में संशोधन को मंजूरी दी गई।

विभिन्न बदलावों का उल्लेख करते हुए तावड़े ने कहा कि किसी बीमार व्यक्ति का करीबी परिजन रक्त समूह अलग होने के कारण अंगदान नहीं कर सकता, ऐसे लोगों के लिए अंगों की अदलाबदली की सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी। महाराष्ट्र राज्य के मंत्री द्वारा यह भी कहा गया कि जिस व्यक्ति का ब्रेन डेड हो गया हो उसके अंगों को सर्जरी के उद्देश्य से निकाला जा सकेगा। टिश्यूज़ को भी दान करने के लिए कानून तैयार किया गया है।

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