May 13 2016 11:25 AM
मुंबई : हाई कोर्ट में दायर जनहित याचिकाओं की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने बुधवार को सरकार से सवाल किया था कि जब राज्य में पानी की इतनी किल्लत है तो सूखा घोषित क्यों नहीं हो रहा है. इसके बाद राजस्व और वन विभाग ने घोषणा कर दी कि अब राज्य के 29 हजार 600 गांवों में सूखा माना जाए.
वस्तुतः राज्य में सूखा घोषित करने के मार्ग दर्शक तत्व अंग्रेजों के जमाने के चले आ रहे हैं, इसलिए सरकारें ‘सूखे जैसे हालात’ के शब्द का इस्तेमाल कर ही दायित्व निभाती है. अब जबकि सूखा घोषित हो गया है तो राज्य सरकार की जिम्मेदारी सूखाग्रस्त इलाकों में बढ़ जाएगी. जिसमें वित्तीय जिम्मेदारी ज्यादा होगी.
हालाँकि महाराष्ट्र सरकार ने सूखाग्रस्त गांवों में पहले ही बिजली बिलों में राहत,फीस माफ़ी,राजस्व वसूली में छूट और टैंकरों से पानी की आपूर्ति शुरू कर दी थी.
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