महाराष्ट्र सरकार ने खत्म की 'नो फेल पॉलिसी'
महाराष्ट्र सरकार ने खत्म की 'नो फेल पॉलिसी'
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मुंबई : महाराष्ट्र सरकार ने अपनी नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में इस बात की वकालत की है कि परीक्षाएँ होना अनिवार्य है। इससे विद्दार्थी पढ़ाई में मन लगाता है, वरना वह पढ़ाई की अनदेखी करता है। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि परीक्षा न होना और ऐसा कुछ भी नही होना, यह परिजनों के मन का भ्रम है। शिक्षा का अधिकार कानून के तहत 1 अप्रैल 2010 को परीक्षा में फेल न होने की नीति को लागू किया गया था। इस नीति को लागू करने के पीछे तर्क यह था कि 6 से 14 साल की उम्र के बीच का हर बच्चा बेझिझक स्कूल जाए।

कहा जा रहा है कि कई बार बच्चे फेल होने के बाद बीच में ही स्कूल जाना छोड़ देते थे, इसी कारण इस नीति को लागू किया गया था। अब 5 साल बाद महाराष्ट्र सरकार इसे पूरी तरह खत्म करना चाहती है। हांलाकि सरकार ने सतत समग्र मूल्यांकन (Continuous and comprehensive Evaluation) की सिफारिश की है।

इसके तहत बच्चे को उसके ओवरऑल परफॉरमेंस और खेल, फिजिकल एक्टिविटी, कलात्मकता, आर्ट, म्यूजिक, डांस व ड्रामा के आदार पर जज किया जाएगा। रेगुलर होने वाले एग्जाम के मार्क्स को फाइनल में जोड़ा जाएगा। इसके अलावा सरकार ने परिजनों को भी शिक्षा के साझेदार के तौर पर जोड़ने पर बल दिया है।

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