अपनी छाती पर 72 किलो वजन लेकर चलते थे महाराणा प्रताप

अपनी छाती पर 72 किलो वजन लेकर चलते थे महाराणा प्रताप
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आप सभी को बता दें कि कल महाराण प्रताप जयंती है. ऐसे में मुगलों को नाकों चने चबवाने वाले महान योद्धा महाराणा प्रताप अपने समय से लेकर आज तक जाने जाते हैं. महाराण प्रताप का जन्म 6 मई 1540 को हुआ था. आइए बताते हैं मेवाड़ के महाराजा महाराणा प्रताप के बारे में...

1. कहते हैं हल्दीघाटी का युद्ध मुगल बादशाह अकबर और महाराणा प्रताप के बीच 18 जून, 1576 ई. को लड़ा गया था. अकबर और महाराणा प्रताप के बीच यह युद्ध महाभारत युद्ध की तरह विनाशकारी सिद्ध हुआ था.

2. ऐसी मन्यता है कि हल्दीघाटी के युद्ध में न तो अकबर जीत सका और न ही राणा हारे. मुगलों के पास सैन्य शक्ति अधिक थी तो राणा प्रताप के पास जुझारू शक्ति की कोई कमी नहीं थी.

3. कहा जाता है महाराणा प्रताप का भाला 81 किलो वजन का था और उनके छाती का कवच 72 किलो का था. उनके भाला, कवच, ढाल और साथ में दो तलवारों का वजन मिलाकर 208 किलो था.

4. आपको बता दें हल्दी घाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप के पास सिर्फ 20000 सैनिक थे और अकबर के पास 85000 सैनिक. इसके बावजूद महाराणा प्रताप ने हार नहीं मानी और स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करते रहे.

5. कहते हैं कि अकबर ने महाराणा प्रताप को समझाने के लिए 6 शान्ति दूतों को भेजा था, जिससे युद्ध को शांतिपूर्ण तरीके से खत्म किया जा सके, लेकिन महाराणा प्रताप ने यह कहते हुए हर बार उनका प्रस्ताव ठुकरा दिया कि राजपूत योद्धा यह कभी बर्दाश्त नहीं कर सकता.

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