मानवता के प्रतिष्ठापक थे महाराजा अग्रसेन
मानवता के प्रतिष्ठापक थे महाराजा अग्रसेन
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एक राजा जो कि प्रजापालक तो था ही मगर वह समाज में व्याप्त विसंगतियों और रूढ़ियों के खिलाफ था। उसने इसे लेकर कई तरह के कार्य किए। इतना ही नहीं समाज को राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक बल दिया। वे और कोई नहीं महाराजा अग्रसेन जी थे। अग्रसेन जी का जन्म सूर्यवंश में हुआ था लेकिन इसके बाद भी उन्होंने उस काल में बलिप्रथा का कथित विरोध किया था। माना जाता है कि क्षत्रिय होने के कारण उन्हें बलि प्रथा का सामना करना पड़ा।

ऐसे में उन्होंने क्षत्रिय धर्म का त्याग कर दिया। तो दूसरी ओर उन्होंने वैश्य धर्म अपनाकर अग्रवंशियों की स्थापना की। हालांकि इस बात के प्रमाण मिलना मुकिश्ल है लेकिन मान्यता यही है कि अग्रसेन महाराज ने ही अग्रवंशियों को आगे बढ़ाया था। अग्रवंशियों के लिए उन्होंने वैश्य व्यवस्था विकसित की और इन लोगों को कारोबार और व्यापारिक गतिविधियों में भी आगे बढ़ाया। मान्यता के अनुसार महाराज अग्रसेन 4250 ईसा पूर्व हुए थे। ये अग्रोहा गणराज्य के महाराज थे।

धार्मिक मान्यता के अनुसार महाराजा वल्लभ सेन के घर द्वापर के अंतिम दौर और कलियुग के प्रारंभिक दौर में उनका जन्म हुआ था। उनका विवाह राजा नागराज की कन्या राजकुमारी माधवी के साथ हुआ था। दरअसल वे राजकुमारी के स्वयंवर में शामिल हुए थे। इसी दौरान देवराज इंद्र से भी उनका टकराव हो गया था और फिर देवताओं और ऋषियों को बीच - बचाव करना पड़ा। वे एक तपस्वी भी थे। अग्रवाल समाज उन्हें अपने जन्मदाता देव के तौर पर मानता है। माना जाता है कि ये भगवान श्री कृष्ण के नाना जी थे।

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