लखनऊ: एक ओर जहां राजनितिक दल छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान विधानसभा चुनावों में लगे हुए हैं, वहीं उत्तर प्रदेश में आगामी लोक सभा चुनावों की तैयारियां शुरू हो गई हैं. राज्य में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बाद बसपा समर्थित नेता भी अपने-अपने इलाकों में लोगों के बीच जा रहे हैं. पिछले विधानसभा चुनावों में सपा-कांग्रेस एक साथ लड़े थे, वहीं बहुजन समाज पार्टी (बसपा) भी भाजपा के खिलाफ लड़ी थी, लेकिन इस बार ये सपा-बसपा कांग्रेस के विरुद्ध खड़े नज़र आ रहे हैं.
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जानकारों का मानना है कि तीन राज्यों के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के रवैये को देखते हुए बसपा और सपा अपने गठबंधन से कांग्रेस को अलग ही रख सकती है. ऐसा हुआ तो सपा-बसपा की कांग्रेस से तल्खी का प्रभाव यूपी में विपक्षी दलों के प्रस्तावित गठबंधन पर भी पड़ेगा. बीते दिनों के बयानों और कुछ गतिविधियों को देखा जाए तो बसपा सुप्रीमो मायावती और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव अपने स्वाभिमान को दर्शाने की कोशिश कर रहे है. ऐसे में संभावित गठबंधन की माया-अखिलेश के इशारों पर ही चलेगा और और रालोद व अन्य छोटे दल इसमें शामिल हो सकते हैं.
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उल्लेखनीय है कि तीन राज्यों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में विधानसभा चुनावों ने कांग्रेस और सपा-बसपा के नजदीक आने की संभावनाओं को ख़त्म जैसा कर दिया है. इसकी वजह है कि सपा-बसपा को इन राज्यों में भाजपा के खिलाफ कांग्रेस ने उतनी तरजीह नहीं दी, जितनी ये दल चाहते थे. बसपा तो इन राज्यों में प्रत्याशी उतार ही चुकी है, वहीं कांग्रेस ने भी सपा या बसपा से इन राज्यों में गठबंधन भी नहीं किया है. अब इससे ये बात तो साबित हो चुकी है कि भाजपा को हराने के लिए महागठबंधन का ऐलान करने वाली कांग्रेस, खुद उससे बाहर होती नज़र आ रही है.
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