महानवमी पर इस विधि से करें माता सिद्धिदात्री की पूजा
महानवमी पर इस विधि से करें माता सिद्धिदात्री की पूजा
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नवरात्री का पर्व हर साल मनाया जाता है और यह पर्व इन दिनों चल रहा है। ऐसे में कल यानी 24 अक्टूबर को अष्टमी और नवमी एक साथ मनाई जाने वाली है। आपको बता दें कि नवरात्रि के अष्टमी वाले दिन माता महागौरी का पूजन किया जाता है। वहीँ नवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा होती है। ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं माता सिद्धिदात्री की पूजा विधि। कहा जाता है इस पूजा विधि से पूजा करने से माँ खुश होती हैं और अपने भक्तों के दुःख दर्द को दूर कर देती हैं।

माता सिद्धिदात्री की पूजा विधि- आप सभी जानते ही होंगे दुर्गा पूजा में इस तिथि को विशेष हवन किया जाता है। जी दरअसल यह नौ दुर्गा का आखरी दिन माना जाता है और इस दिन माता सिद्धिदात्री के बाद अन्य देवताओं की भी पूजा करते है। सबसे पहले माता जी की चौकी पर सिद्धिदात्री माँ की तस्वीर या मूर्ति रख दी जाती है। उसके बाद इनकी आरती और हवन करते है। ध्यान रहे हवन करते वक्त सभी देवी देवताओं के नाम से हवि यानी अहुति दे।

उसके बाद में माता के नाम से अहुति दे। इसके अलावा दुर्गा सप्तशती के सभी श्लोक मंत्र रूप हैं अत:सप्तशती के सभी श्लोक के साथ आहुति दे सकते हैं। इस दौरान देवी के बीज मंत्र “ऊँ ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे नमो नम:” से कम से कम 108 बार हवि दें। कहा जाता है भगवान शंकर और ब्रह्मा जी की पूजा पश्चात अंत में इनके नाम से हवि देकर आरती करनी चाहिए और हवन में जो भी प्रसाद चढ़ाया है जाता है उसे समस्त लोगों में बांटकर खाना चाहिए।

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